महाराष्ट्र सरकार इन दिनों पुराने शहरों के नाम बदलने में लगी हुई है। औरंगाबाद को छत्रपति संभाजी नगर और उस्मानाबाद को धाराशिव बना दिया गया है। अब नया टारगेट है अहमदनगर! पर कुछ लोग बोल रहे हैं कि सरकार कुछ ज्यादा ही जोश में आ गई है, क्योंकि राज्य भर में ऐसे कई गांव हैं जिनके नाम मुगल, आदिलशाही और निजामशाही शासकों से रखे गए हैं।
महाराष्ट्र के 44,661 शहरों और गांवों में से करीब 80 के नाम पुराने मुस्लिम राजाओं से रखे गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा, पूरे 32 गांव, औरंगाबाद के नाम पर हैं! 21 गांव जहांगीर के नाम पर, और 11 शाहजहां के नाम पर भी हैं। इतिहास में, हो सकता है ये लोग महाराष्ट्र के लिए आक्रांता रहे हों, पर अब तो ये नाम उस इलाके की पहचान बन चुके हैं।
जिनको सरकार ‘विदेशी’ मानती है, उनके नाम Maharashtra के कोने-कोने में मिलेंगे – औरंगाबाद, जहांगीराबाद, शाहजहांपुर, महुली जहांगीर…ऐसे ही और भी कई। और तो और, इस्लामपुर नाम के तो 11 गांव हैं! इतने सब नाम बदलने में ना जाने कितना सरकारी पैसा और समय लगेगा!
औरंगाबाद शहर का नाम तो बदल दिया गया, पर उसी जिले में दो ‘औरंगाबाद’ गांव अभी भी हैं। औरंगाबाद को बहुत से हिंदू राजा बहुत बुरा मानते हैं, पर सच्चाई ये है कि महाराष्ट्र में उसका बहुत प्रभाव रहा है। 13 जिलों में आज भी उसके नाम पर गांव हैं!
शहरों और गांवों के नाम बदलने का काम आसान नहीं है। लोग सदियों से उन नामों के आदि हो चुके होते हैं। सरकार को जनता की भलाई के और भी महत्वपूर्ण काम करने चाहिए। पर जब नेताओं को कोई काम नहीं सूझता, तो वो ऐसे ही फालतू के झगड़े शुरू कर देते हैं, ताकि जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटक जाए!