क्या आप जानते हैं कि पिछले एक साल में बैंकों ने कमर्शियल रियल एस्टेट (CRE) में तिगुना ऋण दिया है? RBl के ताज़ा आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। इस अचानक उछाल के पीछे ऑफिस स्पेस की बढ़ती मांग है। आइए जानते हैं कैसे हो रहा है ये सब!
कमर्शियल रियल एस्टेट (CRE) से मतलब है ऑफिस, शॉपिंग मॉल, होटल आदि के लिए बनाई गई इमारतें। पिछले साल भर में बैंकों से इस क्षेत्र को मिला कर्ज 67,485 करोड़ तक पहुंच गया है, जोकि इससे पिछले साल सिर्फ 23,432 करोड़ रुपये था।
RBI के मुताबिक, CRE में बकाया कर्ज फरवरी 2024 में बढ़कर 3.9 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो उसी समय पिछले वर्ष सिर्फ 2.94 लाख करोड़ रुपये था। इसमें एक लाख करोड़ का उछाल महज़ दो साल में आया है!
अंतर्राष्ट्रीय प्रॉपर्टी सलाहकार कंपनी एनॉरॉक के चेयरमैन अनुज पुरी बताते हैं कि भारत में ऑफिस लीज़ करने का जबरदस्त ट्रेंड चल रहा है। भारत का कॉरपोरेट और स्टार्टअप जगत बढ़ रहा है, साथ ही विदेशी कंपनियां भी यहां अपने कैंपस खोल रही हैं, जिससे ऑफिस की डिमांड बढ़ी है।
पुरी के मुताबिक, “ऑफिस बनाने वाले डेवलपर्स को बैंक बड़ी रकम कर्ज के रूप में दे रहे हैं। बैंक इसके लिए तैयार हैं क्योंकि उन्हें एक तरह की सुरक्षा मिली हुई है।” वो बताते हैं कि बैंक, किराएदार और डेवलपर के बीच ‘एस्क्रो समझौता’ होता है। इसमें किराया पहले बैंक के पास आता है और उसके बाद डेवलपर के खाते में जाता है। इससे बैंक को भरोसा और कम जोखिम रहता है।
CRE के लिए दिए गए कर्ज पर ब्याज दर आमतौर पर 8-9.5 प्रतिशत होती है। कैलेंडर वर्ष 2024 में इस क्षेत्र में और उछाल आने की उम्मीद है। मांग बढ़ने से CRE बनने की गति तेज़ होगी जिससे बैंक और ज़्यादा कर्ज देंगे।