अफ्रीकी देश कांगो में मंकीपॉक्स फिर से बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। लेकिन इस बार की बात अलग है – मंकीपॉक्स का एक नया रूप मिला है, जो ज़्यादा तेज़ी से फैलता है और पहले से कहीं ज़्यादा घातक हो सकता है।
मंकीपॉक्स कोई नई बीमारी नहीं है। ये स्मॉलपॉक्स के वायरस जैसा ही होता है। अफ्रीका में इसके मामले बीच-बीच में आते रहे हैं। पहले ये बीमारी अक्सर इंसानों को जंगली जानवरों के संपर्क में आने से होती थी। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने पाया है कि नया रूप इंसानों के आपसी संपर्क से भी बड़ी आसानी से फैल रहा है।
क्यों है ये नया रूप खतरनाक?
मुश्किल से पता चलता है: इस मंकीपॉक्स में अजीब बात ये है कि पहले जैसे हाथ-पैर पर छाले नहीं होते, बल्कि गुप्तांगों पर घाव ज़्यादा बनते हैं। इसकी वजह से बीमारी को पहचानना मुश्किल हो जाता है, और लोग जाने-अनजाने में दूसरों को भी बीमार कर देते हैं।
सेक्स से भी फैलता है: पिछले साल मंकीपॉक्स की जो वैश्विक लहर आई थी, तब वैज्ञानिकों ने पहली बार ये बात साबित की, कि ये बीमारी सेक्स के ज़रिए भी एक से दूसरे इंसान को हो सकती है। कांगो में भी वैज्ञानिकों ने यही पाया है।
इलाज मुश्किल है: कांगो जैसे देश में मंकीपॉक्स की न तो वैक्सीन ढंग से मिल रही है, और ना ही कोई खास इलाज है। ऐसे में इस बीमारी को बढ़ने से रोकना बहुत कठिन हो रहा है।
क्या हो सकता है आगे?
वैज्ञानिक इस नए मंकीपॉक्स की रोकथाम खोजने में लगे हैं। लेकिन इस बीच ये वायरस तेज़ी से फैल सकता है। कांगो के अलावा दुनिया के दूसरे देशों को भी सतर्क हो जाना चाहिए। आजकल लोग एक देश से दूसरे देश आसानी से आते-जाते हैं, तो ये बीमारी कहीं भी फैलने का खतरा है।
ये मंकीपॉक्स का नया रूप बताता है कि वायरस समय के साथ खुद को बदल लेते हैं। इंसानों की आदतें बदलती हैं, तो बीमारी फैलने के तरीके भी बदल जाते हैं। ये बहुत चिंता की बात है क्योंकि अगर हम नए-नए रूपों को रोकने के तरीके नहीं खोजेंगे, तो ये बीमारियां कहर मचा सकती हैं।
मंकीपॉक्स से बचने के लिए साफ-सफाई और सावधानियां सबसे ज़रूरी हैं। अगर किसी को भी इसके जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवा लेनी चाहिए।
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