D Gukesh Victory in Chess: चेन्नई के 18 वर्षीय डी गुकेश ने शतरंज की दुनिया में वो कर दिखाया जो हर खिलाड़ी का सपना होता है। अपनी अद्भुत प्रतिभा और लगन के दम पर, उन्होंने 2024 वर्ल्ड चेस चैम्पियनशिप में चीन के डिंग लिरेन को हराकर सबसे कम उम्र में यह खिताब जीतने का गौरव हासिल किया। डी गुकेश की जीत (D Gukesh Victory) ने न केवल भारत को गौरवान्वित किया बल्कि उन्हें विश्वनाथन आनंद के बाद दूसरे भारतीय विश्व चैंपियन का दर्जा दिलाया।
कैसे बना सबसे युवा चैंपियन बनने का इतिहास?
गुकेश ने 12 दिसंबर 2024 को सिंगापुर में आयोजित वर्ल्ड चेस चैम्पियनशिप की अंतिम बाजी में डिंग लिरेन को हराया। यह मुकाबला तीन सप्ताह तक चला और गुकेश ने इसे अपने नाम कर लिया। इस जीत के साथ उन्होंने न केवल खिताब जीता बल्कि 1.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 11.03 करोड़ रुपये) का इनाम भी हासिल किया।
उनके इस सफर की शुरुआत मात्र सात साल की उम्र में हुई। उस समय उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें शतरंज में विश्व चैंपियन बनना है। लगभग एक दशक के कठिन परिश्रम और निरंतर अभ्यास के बाद उन्होंने यह सपना पूरा किया।
गुकेश की जीत पर विवाद क्यों?
हालांकि, गुकेश की ऐतिहासिक जीत को लेकर कुछ विवाद भी खड़े हुए। रूस के शतरंज संघ के अध्यक्ष एंड्री फिलाटोव ने डिंग लिरेन की हार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि डिंग लिरेन की हरकतें संदिग्ध थीं और फाइनल गेम में उनकी हार जानबूझकर लग रही थी। इस मामले की जांच की मांग भी उठाई गई है।
पूर्व विश्व चैंपियन व्लादिमीर क्रैमनिक और नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन ने भी मैच के दौरान शतरंज के स्तर की आलोचना की। लेकिन गुकेश के मेंटर और पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने इन आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि यह आलोचना उनकी सफलता के साथ आई है और इसे नजरअंदाज करना ही सही है।
गुकेश का सफर: मेहनत और सफलता की कहानी
गुकेश का शतरंज के प्रति जुनून बचपन से ही था। उन्होंने मात्र सात साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया और जल्द ही अपने कोचों और परिवार का ध्यान आकर्षित किया। कड़ी मेहनत और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में जीत के दम पर उन्होंने धीरे-धीरे विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई।
उनके मेंटर आनंद ने कहा कि गुकेश की यह सफलता भारतीय शतरंज के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने यह भी कहा कि गुकेश की प्रतिभा ने यह साबित कर दिया कि वे एक स्वर्णिम पीढ़ी का हिस्सा हैं।
आलोचनाओं के बीच जीत का महत्व
आलोचना और विवाद सफलता का एक हिस्सा होते हैं, और यही बात गुकेश के मामले में भी देखने को मिली। आनंद ने कहा कि गुकेश ने साल 2024 में कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट जीते, जिनमें कैंडिडेट्स टूर्नामेंट और टोरंटो टूर्नामेंट शामिल हैं। इन जीतों ने यह साबित किया कि उनकी योग्यता पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता।
गुकेश की इस उपलब्धि ने उन्हें भारतीय खेल इतिहास में एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। उनकी जीत न केवल युवाओं के लिए प्रेरणा है बल्कि भारत को विश्व शतरंज के मानचित्र पर और मजबूत बनाती है।
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