देश-विदेश

केरल से केरलम: नाम बदलने की मांग और उसके पीछे का इतिहास

केरल से केरलम: नाम बदलने की मांग और उसके पीछे का इतिहास
केरल से केरलम: केरल विधानसभा ने एक बार फिर से राज्य का नाम बदलकर “केरलम” करने की मांग की है। यह प्रस्ताव राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने पेश किया और सभी सदस्यों ने इसका समर्थन किया। आइए इस मुद्दे को गहराई से समझें।
क्या है प्रस्ताव?
विधानसभा ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह संविधान में संशोधन करके राज्य का नाम “केरल” से बदलकर “केरलम” कर दे। यह नाम मलयालम भाषा में राज्य का आधिकारिक नाम है। विधायकों का मानना है कि इससे राज्य की पहचान और भी मजबूत होगी।
यह पहली बार नहीं है जब ऐसा प्रस्ताव पास हुआ है। पिछले साल अगस्त में भी एक ऐसा ही प्रस्ताव पारित किया गया था। लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से उसे दोबारा पेश करना पड़ा।
नाम बदलने की मांग क्यों?
“केरलम” शब्द मलयालम भाषा में राज्य का मूल नाम है। अंग्रेजी में इसे “केरल” लिखा जाता है। विधायकों का कहना है कि राज्य का आधिकारिक नाम उसकी मूल भाषा में ही होना चाहिए। इससे राज्य की संस्कृति और परंपरा का सम्मान होगा।
केरल नाम का इतिहास
“केरल” नाम का इतिहास बहुत पुराना है। सम्राट अशोक के समय के एक शिलालेख में “केरलपुत्र” शब्द मिलता है, जिसका अर्थ है “केरल का पुत्र”। यह चेर राजवंश के लिए इस्तेमाल किया गया था।
कुछ विद्वानों का मानना है कि “केरम” शब्द कन्नड़ के “चेरम” से मिलता-जुलता है। यह शब्द दक्षिण भारत के तटीय इलाके को दर्शाता था। “चेर” का मतलब प्राचीन तमिल में “जोड़ना” होता था।
केरल राज्य का गठन
केरल राज्य का गठन 1 नवंबर 1956 को हुआ था। इससे पहले यह क्षेत्र कई छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था। त्रावणकोर और कोचीन रियासतें और मद्रास प्रेसिडेंसी का मालाबार जिला मिलाकर केरल बना।
भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ और तब केरल एक अलग राज्य बना। इसमें मलयालम भाषी इलाकों को शामिल किया गया।
क्या होगा आगे?
अब यह देखना है कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव पर क्या कदम उठाती है। अगर केंद्र इसे मंजूरी देता है, तो संविधान में संशोधन करना होगा। इससे न सिर्फ केरल का नाम बदलेगा, बल्कि यह कदम भारतीय संघ में भाषाई पहचान को और मजबूत करेगा।
केरल से केरलम का सफर सिर्फ एक अक्षर का नहीं है। यह राज्य की संस्कृति, इतिहास और भाषाई पहचान से जुड़ा है। इस कदम से राज्य अपनी जड़ों से और मजबूती से जुड़ेगा। यह भारत की विविधता में एकता का एक और उदाहरण होगा।

You may also like