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हम्पी… जिसके मंदिर में बने खंभों से भी निकलता है संगीत, इसलिए बनी वर्ल्ड हेरिटेज साइट

हम्पी
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हम्पी, कर्नाटक की धरती पर बसा एक ऐसा ऐतिहासिक शहर है जो अपनी खूबसूरती, भव्यता और पौराणिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित यह शहर कभी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। आज भी इसके खंडहरों में बसी भव्यता हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है। हम्पी को 1986 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट (World Heritage Site) का दर्जा मिला। यहां की अद्भुत वास्तुकला, संगीत पैदा करने वाले खंभे और प्राचीन मंदिर इसे न केवल एक पर्यटन स्थल बल्कि भारत के गौरव का प्रतीक भी बनाते हैं।

रामायण काल से हम्पी का जुड़ाव
हम्पी का उल्लेख रामायण में “पंपा क्षेत्र” के रूप में मिलता है। पंपा, देवी पार्वती का एक और नाम है। मान्यता है कि भगवान राम और हनुमान का मिलन यहीं किष्किंधा में हुआ था। किष्किंधा, जो वानर साम्राज्य की राजधानी थी, हम्पी के उत्तरी हिस्से में स्थित है। यहां हनुमान जी को समर्पित एक प्राचीन मंदिर भी है, जो इस कहानी को और जीवंत बनाता है।

शिव और पार्वती के मंदिरों की भव्यता
हम्पी में हेमकुंटा पहाड़ियों पर बने शिव-पार्वती को समर्पित कई प्राचीन मंदिर हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने यहां कठोर तपस्या की थी ताकि भगवान शिव उन्हें अपने जीवनसाथी के रूप में स्वीकार करें। यही कारण है कि इसे “पंपा क्षेत्र” कहा गया। इस क्षेत्र में बने भव्य मंदिर और वास्तुकला इसकी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाते हैं।

विजय विट्ठल मंदिर और संगीतमय खंभे
हम्पी का सबसे प्रमुख आकर्षण विजय विट्ठल मंदिर है। यह मंदिर वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है। यहां के “मैजिकल म्यूजिकल पिलर्स” (Magical Musical Pillars) पूरी दुनिया में मशहूर हैं। जब इन खंभों को हल्के से छुआ जाता है, तो संगीत की मधुर ध्वनि निकलती है।

मंदिर के 56 खंभों में से कुछ खंभे “सारेगामा” जैसे स्वरों को उत्पन्न करते हैं। इन खंभों को विशेष ग्रेनाइट पत्थरों से बनाया गया है, जिनमें “रेजोनेंस प्रॉपर्टीज़” होती हैं। माना जाता है कि इन खंभों को देवराय द्वितीय के शासनकाल में तैयार किया गया था।

हम्पी का विध्वंस और यूनेस्को का दर्जा
14वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य अपने चरम पर था। लेकिन 16वीं शताब्दी में दक्कन के सुल्तानों ने इस पर आक्रमण कर इसे बर्बाद कर दिया। शहर के महल, मंदिर और अन्य इमारतें तोड़ दी गईं। फिर भी, हम्पी की भव्यता को पूरी तरह मिटाया नहीं जा सका। यहां आज भी 1600 से अधिक प्राचीन संरचनाओं के अवशेष मौजूद हैं। यही कारण है कि 1986 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया गया।

हम्पी तक कैसे पहुंचें?
हम्पी पहुंचने के लिए कई विकल्प हैं:-
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा बेल्लारी है, जो हम्पी से 60 किमी दूर है। हुबली हवाई अड्डा भी यहां से 143 किमी दूर है।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन होसपेट है, जो हम्पी से 13 किमी दूर स्थित है।
सड़क मार्ग: बेंगलुरु से हम्पी 370 किमी की दूरी पर है और NH4 से आसानी से जुड़ा हुआ है।

हम्पी भारत का ऐसा अद्भुत स्थान है, जहां इतिहास, धर्म और वास्तुकला का अनोखा संगम देखने को मिलता है। यहां के मंदिरों की भव्यता, संगीतमय खंभों का जादू और रामायण काल से जुड़ी कहानियां इसे दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाती हैं। अगर आप भारत की सांस्कृतिक धरोहर को करीब से देखना चाहते हैं, तो हम्पी की यात्रा जरूर करें।

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