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मंकीपॉक्स से जंग में भारत का बड़ा कदम: 15 दिन में बनाई सुपर टेस्टिंग किट, 40 मिनट में मिलेगा टेस्ट रिजल्ट!

मंकीपॉक्स से जंग में भारत का बड़ा कदम: 15 दिन में बनाई सुपर टेस्टिंग किट, 40 मिनट में मिलेगा टेस्ट रिजल्ट!

मंकीपॉक्स से लड़ने की नई उम्मीद: मंकीपॉक्स एक ऐसी बीमारी है जो आजकल पूरी दुनिया में चिंता का विषय बन गई है। लेकिन अब इस बीमारी से लड़ने के लिए भारत ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। हमारे वैज्ञानिकों ने मंकीपॉक्स की जांच के लिए एक खास किट बनाई है, जो सिर्फ 40 मिनट में बता देगी कि किसी व्यक्ति को यह बीमारी है या नहीं। आइए इस नई किट के बारे में विस्तार से जानें और समझें कि यह हमारी मदद कैसे करेगी।

भारत की सुपर स्पीड टेस्टिंग किट

हमारे देश के वैज्ञानिकों ने बहुत कम समय में एक शानदार काम किया है। जब दुनिया भर में मंकीपॉक्स का खतरा बढ़ने लगा, तो भारत ने महज 15 दिनों के अंदर इसकी जांच के लिए एक खास किट बना डाली। इस किट का नाम है IMDX Monkeypox Detection RT-PCR Assay। यह नाम थोड़ा लंबा और कठिन लग सकता है, लेकिन इसका काम बहुत आसान और तेज है।

इस किट को सीमेंस हेल्थीनीयर्स नाम की कंपनी ने बनाया है। सबसे अच्छी बात यह है कि यह किट सिर्फ 40 मिनट में बता देती है कि किसी व्यक्ति को मंकीपॉक्स है या नहीं। इससे डॉक्टर्स को जल्दी पता चल जाएगा कि मरीज को कैसा इलाज देना है।

किट की विश्वसनीयता और मान्यता

जब कोई नई चीज बनती है, तो यह जानना जरूरी होता है कि वह सही काम करती है या नहीं। इसलिए इस किट को कई जगहों से जांचा और परखा गया है। पुणे में स्थित ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने इस किट को अपनी मंजूरी दी है। यह संस्थान वायरस से जुड़ी बीमारियों पर काम करने के लिए जाना जाता है।

इसके अलावा, सेंट्रल प्रोटेक्शन ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने भी इस किट को बनाने की इजाजत दी है। यह सरकारी संस्था है जो यह देखती है कि कोई नई दवा या मेडिकल डिवाइस सुरक्षित और असरदार है या नहीं। इन दोनों संस्थाओं की मंजूरी मिलने का मतलब है कि यह किट बिल्कुल सही और भरोसेमंद है।

मंकीपॉक्स: एक बढ़ता खतरा

अब थोड़ा मंकीपॉक्स के बारे में जान लेते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जो एक वायरस की वजह से होती है। इसके लक्षण चेचक यानी smallpox जैसे होते हैं, जैसे कि बुखार और शरीर पर दाने। पहले यह बीमारी ज्यादातर अफ्रीका के कुछ हिस्सों में ही पाई जाती थी, लेकिन अब यह दुनिया के कई देशों में फैल गई है।

हाल ही में, 14 अगस्त को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया। इसका मतलब है कि यह बीमारी अब एक बड़ा खतरा बन गई है और इससे निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा।

नए स्ट्रेन का खतरा

वैज्ञानिकों ने पाया है कि मंकीपॉक्स का एक नया रूप यानी स्ट्रेन सामने आया है, जिसे Clad-1 कहा जाता है। यह नया स्ट्रेन पहले वाले से ज्यादा खतरनाक है। यह तेजी से फैलता है और इससे मरने का खतरा भी ज्यादा है। इसलिए इस बीमारी की जल्दी पहचान और इलाज बहुत जरूरी हो गया है।

भारत की तैयारी

भारत ने इस खतरे को समझते हुए बहुत जल्दी कदम उठाया है। हमारे वैज्ञानिकों ने सिर्फ 15 दिनों में यह टेस्टिंग किट बना ली, जो दुनिया के सबसे अच्छे मानकों के अनुसार है। इससे न सिर्फ भारत में, बल्कि दूसरे देशों में भी इस बीमारी से लड़ने में मदद मिलेगी।

इस किट के आने से डॉक्टर्स को बीमारी की जल्दी पहचान करने में मदद मिलेगी। जब किसी बीमारी का जल्दी पता चल जाता है, तो उसका इलाज भी जल्दी शुरू हो सकता है। इससे मरीज के ठीक होने के चांस बढ़ जाते हैं और बीमारी के फैलने का खतरा भी कम हो जाता है।

आगे की राह

मंकीपॉक्स से लड़ने के लिए सिर्फ टेस्टिंग किट काफी नहीं है। हमें सभी को मिलकर इस बीमारी के बारे में जागरूक होना होगा। अगर किसी को बुखार आए या शरीर पर अजीब दाने दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। साथ ही, सफाई का ध्यान रखना और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर सावधानी बरतना भी जरूरी है।

भारत की यह नई किट हमारे लिए एक बड़ी उम्मीद है। इससे हम मंकीपॉक्स जैसी खतरनाक बीमारी से बेहतर तरीके से लड़ सकते हैं। लेकिन याद रखें, स्वस्थ रहने की सबसे अच्छी दवा है – सावधानी और जागरूकता।

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