Maharashtra News: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर अब बीजेपी में मतभेद शुरू हो गया है. केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने कहा है कि वो आरक्षण पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार के लिए गए फैसले से असहमत हैं.
गौरतलब है किन मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने शनिवार को अपना अनिश्चितकालीन उपवास खत्म कर दिया था. क्योंकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की थी कि जबतक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, तबतक उन्हें ओबीसी को प्राप्त सभी लाभ मिलेंगे.
एकनाथ शिंदे के इस फैसले पर अब नारायण राणे ने कहा है कि, “मैं मराठा आरक्षण के संबंध में राज्य सरकार के लिए गए फैसले से सहमत नहीं हूं. इससे राज्य में असंतोष पैदा होगा क्योंकि मराठा समुदाय, जिसकी एक ऐतिहासिक परंपरा है, का सफाया कर दिया जाएगा और अन्य पिछड़े समुदायों पर अतिक्रमण किया जाएगा.”
राणे ने कहा कि वो राज्य सरकार के फैसले को और आरक्षण के संबंध में मराठा समुदाय को उसके दिये गये आश्वासन को मंजूर नहीं करते हैं. (Maharashtra News)
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महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने भी राज्य सरकार के इस फैसले पर असंतोष व्यक्त किया है तथा अन्य पिछड़ा वर्ग में पिछले दरवाजे से मराठों के प्रवेश पर सवाल उठाया है.
दरअसल कृषक समुदाय ‘कुनबी’ ओबीसी के अंतर्गत आते हैं और जरांगे भी सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाणपत्र मांग रहे हैं. जानकारी हो कि जरांगे मराठों के वास्ते आरक्षण की मांग को लेकर अगस्त से आंदोलन कर रहे थे. हालांकि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी ओबीसी की चिंताएं दूर करते हुए कहा है कि मराठों को बिना सबूत कुनबी प्रमाणपत्र नहीं दिया जाएगा.
मराठा आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी के भीतर मतभेद से राज्य की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं. (Maharashtra News)
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