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National Anthem Rules: क्या हैं राष्ट्रगान के नियम, जिस पर तमिलनाडु गर्वनर और सरकार आमने-सामने

National Anthem Rules: क्या हैं राष्ट्रगान के नियम, जिस पर तमिलनाडु गर्वनर और सरकार आमने-सामने

राष्ट्रगान हमारे देश की अस्मिता का प्रतीक है। यह भारतीय संविधान के आदर्शों और राष्ट्रीय भावना को दर्शाता है। हाल ही में, तमिलनाडु में “राष्ट्रगान नियम” (National Anthem Rules) को लेकर विवाद खड़ा हो गया। राज्यपाल आरएन रवि ने विधानसभा में राष्ट्रगान न बजने पर इसे संविधान का अपमान बताया, जबकि राज्य सरकार ने इसे परंपरा का पालन कहा। इस लेख में, हम विस्तार से जानेंगे कि “भारत में राष्ट्रगान के नियम” (Rules for National Anthem in India) क्या हैं और इस विवाद का आधार क्या है।

तमिलनाडु में राष्ट्रगान विवाद का कारण

तमिलनाडु विधानसभा में, परंपरा के अनुसार, राज्यपाल के अभिभाषण से पहले “तमिल थाई वझथु” (राज्य गीत) बजाया जाता है और अभिभाषण के अंत में राष्ट्रगान गाया जाता है। यह परंपरा 1991 में जयललिता के नेतृत्व वाली AIADMK सरकार ने शुरू की थी। लेकिन 2025 के विधानसभा सत्र में, राज्यपाल ने राष्ट्रगान न बजाने पर नाराजगी जताई और इसे संविधान के उल्लंघन के रूप में देखा।

क्या कहता है संविधान?

भारतीय संविधान की धारा 51(ए)(ए), जो मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है, कहती है:
“यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे और इसके आदर्शों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे।”

गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश

गृह मंत्रालय ने राष्ट्रगान के उपयोग और गायन के लिए विशेष नियम बनाए हैं।

  • औपचारिक राजकीय समारोहों और परेड में।
  • राष्ट्रपति या राज्यपाल के आगमन और प्रस्थान पर।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रमों या अन्य सार्वजनिक आयोजनों के दौरान।
  • सरकारी भवनों में ध्वजारोहण के समय।

राष्ट्रपति और संसद में राष्ट्रगान का प्रावधान

संसद में, राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान राष्ट्रगान दो बार बजाया जाता है—पहले जब वे मंच पर आते हैं, और दूसरे जब वे अपना भाषण समाप्त करके लौटते हैं। यह संसद की एक परंपरा है जो अन्य राज्यों की विधानसभाओं में भी अपनाई जाती है।

राज्य सरकार का पक्ष

तमिलनाडु सरकार ने स्पष्ट किया कि राज्य में परंपरा के तहत, “तमिल थाई वझथु” का सम्मान पहले किया जाता है, और इसके बाद अभिभाषण के अंत में राष्ट्रगान गाया जाता है। यह परंपरा तीन दशकों से चली आ रही है।

अन्य राज्यों में राष्ट्रगान की प्रथाएं

हर राज्य अपनी परंपराओं के अनुसार राष्ट्रगान के नियमों का पालन करता है। नागालैंड और त्रिपुरा जैसे राज्यों में राष्ट्रगान हाल ही में औपचारिक आयोजनों में शामिल किया गया है।

विवाद का निपटारा और कानूनी पक्ष

अदालत ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रगान गाना एक परंपरा है, न कि बाध्यकारी नियम। 2019 में एक याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रगान न गाने पर दंडात्मक कार्रवाई के आदेश नहीं दिए जा सकते।

“राष्ट्रगान नियम” (National Anthem Rules) और “भारत में राष्ट्रगान के नियम” (Rules for National Anthem in India) का पालन हर राज्य में अलग-अलग तरीकों से होता है। तमिलनाडु का यह विवाद परंपरा और नियमों के बीच संतुलन की आवश्यकता को दर्शाता है। हालांकि राष्ट्रगान का सम्मान हर भारतीय का कर्तव्य है, लेकिन इसे संवेदनशीलता और समझदारी से संभालना आवश्यक है।


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