दिलजीत दोसांझ ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने बचपन का वो किस्सा सुनाया, जिसे सुनकर हंसी तो छूटेगी ही, साथ ही उनके बचपन का भोलापन और उनके गांव के आपसी प्यार का पता भी चल जाएगा। एक इंटरव्यू के दौरान याद आया उन्हें वो टाइम, जब वो सिर्फ 8 साल के थे और उन्हें लगा कि उनकी दुनिया ही खत्म हो गई है!
ये कहानी शुरू होती है स्कूल के टाइम से, जब एक लड़की दिलजीत का क्रश बन गई। स्कूल में तो अक्सर मस्ती चलती ही रहती है। तो एकबार उनके कुछ क्लासमेट्स ने उनसे पूछ लिया कि उन्हें कौन सी लड़की पसंद है। दिलजीत ने बिना सोचे-समझे अपनी क्लास की एक लड़की को दिखाते हुए बोल दिया, “वही!”
इस उम्र में बच्चों को तो शादी का असली मतलब भी पता नहीं होता है, तो उनके दोस्तों ने उन्हें एक ऐसी सलाह दे डाली, जिसे सुनकर आप भी अपना माथा पकड़ लेंगे! दोस्तों ने कहा कि लड़की के पास जाकर अपने दिल की बात बोल दो, फिर तो शादी भी पक्की! सीधे-सादे दिलजीत ये मानकर उस लड़की के पास गए और सीधे तौर पर कह दिया कि वो दोनों शादी कर लेंगे। जाहिर सी बात है, लड़की को ये बात कुछ अच्छी नहीं लगी और उसने टीचर से जाकर शिकायत कर दी।
इस बात से दिलजीत तो घबरा गए। उन्हें लगा कि अब उनके मम्मी-पापा उन्हें खूब डांटेंगे। इसी डर की वजह से उन्होंने बचपन की एक ऐसी नटखट चाल चल दी, जिसे सुनकर आप यकीन नहीं कर पाएंगे! वो दौड़े-दौड़े फ्रिज खोलकर थोड़ा खाना का सामान ले आए, जिसमें दो केले और कुछ और फल थे। फिर क्या, उन्होंने अपनी साइकिल निकाली और घर से भागने की कोशिश करने लगे।
लेकिन यार, दिलजीत की ये भागदौड़ ज्यादा दूर तक ना जा सकी। उनके गांव में एक खास बात ये थी कि वहां सिर्फ मम्मी-पापा ही नहीं, बल्कि पूरे गांव के बड़े लोग बच्चों पर नजर रखते थे। जरूरत पड़ने पर प्यार से उन्हें सही रास्ते पर ले आते थे। कुछ ऐसा ही हुआ दिलजीत के साथ भी। गांव के ही एक आदमी ने उन्हें जाते हुए देख लिया और थोड़े सख्ती से लेकिन प्यार से वापस घर जाने का रास्ता बता दिया।
घर वापस आने के बाद भी दिलजीत को डर बना हुआ था। उन्हें लगा कि उनके मम्मी-पापा उन्हें सजा जरूर देंगे। तो उन्होंने एक और जुगाड़ लगाया। उन्होंने अपने मम्मी-पापा को बता दिया कि उन्हें पेट में दर्द हो रहा है और वो स्कूल नहीं जा पाएंगे। मजेदार बात ये है कि उस वक्त उनके मम्मी-पापा उनकी बात मान गए और उन्होंने दो दिन स्कूल छुट्टी कर ली। उनकी टीचर ने भी उनकी गैरहाजिरी को माफ कर दिया।
दिलजीत दोसांझ की ये कहानी ना सिर्फ उनके मस्ती करने वाले स्वभाव की झलक दिखाती है बल्कि उस प्यार भरे माहौल को भी दर्शाती है, जहां उनका बचपन बीता। ये किस्सा बचपन की मासूमियत और पहली बार किसी को पसंद करने के एहसास की याद दिलाता है। साथ ही, ये उस ज़माने के गांवों की कहानी भी है, जहां बड़े लोग मिलकर बच्चों का मार्गदर्शन करते थे और उनकी रक्षा करते थे।
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