पीएम श्री: भारत की शिक्षा व्यवस्था में एक नया अध्याय शुरू हो रहा है। केंद्र सरकार ने एक ऐसी योजना शुरू की है, जिसे देखकर लगता है कि अब देश के स्कूलों की तस्वीर बदलने वाली है। आइए जानते हैं इस योजना के बारे में विस्तार से।
पीएम श्री योजना: एक नजर में
पीएम श्री यानी ‘पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया’ – ये नाम सुनते ही लगता है कि ये कोई बड़ी योजना होगी। और सच में, ये बड़ी योजना है। इसका लक्ष्य है पूरे देश में 14,500 स्कूलों को ऐसा बनाना कि वे दूसरे स्कूलों के लिए मिसाल बन जाएं। सोचिए, अगर आपके शहर या गांव में एक ऐसा स्कूल हो, जहां पढ़ाई-लिखाई इतनी अच्छी हो कि दूसरे स्कूल वाले भी उससे सीखने आएं। यही है पीएम श्री योजना का सपना।
योजना की खास बातें
नई शिक्षा नीति का पालन: इन स्कूलों को 2020 में आई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हिसाब से चलाया जाएगा।
मौजूदा स्कूलों का सुधार: यह योजना नए स्कूल बनाने की नहीं है। इसमें पहले से चल रहे सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाया जाएगा।
बड़ा बजट: सरकार ने इस योजना के लिए 27,360 करोड़ रुपये रखे हैं। इतने पैसे से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकार इसे कितनी गंभीरता से ले रही है।
5 साल का प्लान: ये योजना अगले पांच साल तक चलेगी। 2026-27 तक इसके नतीजे दिखने लगेंगे।
स्कूलों का चुनाव कैसे होगा?
अब सवाल ये है कि इन 14,500 स्कूलों का चुनाव कैसे होगा? ये प्रक्रिया बहुत दिलचस्प है:
चैलेंज मोड: स्कूलों को चुना जाएगा ‘चैलेंज मोड’ में। यानी, स्कूलों को अपनी खूबियां दिखानी होंगी।
न्यूनतम शर्तें: स्कूल के पास अच्छा पक्का भवन होना चाहिए। विकलांग बच्चों के लिए रैंप होना चाहिए। लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय होने चाहिए।
ऑनलाइन आवेदन: चुने गए स्कूलों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
कड़ी जांच: फिर इन स्कूलों की कई तरह से जांच की जाएगी।
योजना में शामिल स्कूल
अभी तक 10,077 स्कूल इस योजना में शामिल हुए हैं। इनमें से:
839 केंद्रीय विद्यालय हैं।
599 नवोदय विद्यालय हैं।
8,639 स्कूल राज्य या स्थानीय सरकारों के हैं।
पैसों का मामला
पैसे का मामला हमेशा अहम होता है। इस योजना में भी ऐसा ही है:
कुल खर्च: 5 साल में कुल 27,360 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
केंद्र का हिस्सा: इसमें से 18,128 करोड़ रुपये केंद्र सरकार देगी।
राज्यों की जिम्मेदारी: बाकी पैसा राज्य सरकारों को देना होगा।
लंबे समय तक चलाना: 5 साल बाद भी इन स्कूलों को उसी अच्छे स्तर पर चलाना होगा।
राज्यों की प्रतिक्रिया
हर अच्छी योजना में कुछ चुनौतियां होती हैं। इस योजना में भी कुछ राज्यों ने अपनी चिंताएं जताई हैं:
दिल्ली और पंजाब: इन राज्यों ने कहा है कि उनके पास पहले से ही अच्छे स्कूल हैं। वे इस योजना में शामिल नहीं होंगे।
पश्चिम बंगाल: उन्हें स्कूल के नाम के आगे ‘पीएम श्री’ लगाने पर आपत्ति है।
अन्य राज्य: कई गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने अभी तक इस योजना में हिस्सा नहीं लिया है।
समझौता ज्ञापन की शर्त
इस योजना में शामिल होने के लिए राज्यों को एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने होंगे। इसमें कुछ शर्तें हैं:
नई शिक्षा नीति को पूरी तरह से लागू करना होगा।
चुने गए स्कूल के नाम के आगे ‘पीएम श्री’ लगाना होगा।
योजना का असर
अगर ये योजना सही तरीके से लागू हुई, तो इसका बड़ा असर हो सकता है:
शिक्षा का स्तर सुधरेगा: अच्छे स्कूलों से पूरे देश की शिक्षा का स्तर ऊपर उठेगा।
गरीब बच्चों को मौका: सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी।
नए तरीके: नई शिक्षा नीति के साथ, बच्चों को नए और बेहतर तरीके से पढ़ाया जाएगा।प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी: अच्छे सरकारी स्कूल होने से निजी स्कूलों में भी सुधार आएगा।
चुनौतियां
हर बड़ी योजना में चुनौतियां होती हैं। इस योजना में भी कुछ मुश्किलें हैं, जैसे –
सभी राज्यों का साथ: सभी राज्यों को इस योजना के लिए तैयार करना मुश्किल हो सकता है।
पैसों का इंतजाम: इतने बड़े बजट का प्रबंधन करना आसान नहीं होगा।
लगातार निगरानी: इतने सारे स्कूलों पर नजर रखना और उन्हें सही दिशा में चलाना बड़ा काम है।
शिक्षकों की तैयारी: नए तरीके से पढ़ाने के लिए शिक्षकों को तैयार करना होगा।
पीएम श्री योजना एक बड़ा कदम है भारत की शिक्षा व्यवस्था को बदलने का। अगर ये सही तरीके से लागू हुई, तो ये देश के लाखों बच्चों के भविष्य को बदल सकती है। लेकिन इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा। शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों को भी इस बदलाव के लिए तैयार रहना होगा।
वैसे फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि, ये योजना एक सपने की तरह है – एक ऐसे भारत का सपना जहां हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले। ऐसे में अब देखना ये है कि ये सपना कितनी जल्दी और कितनी अच्छी तरह से सच होता है।