फिल्म ‘पुष्पा’ और इसके दूसरे भाग ‘पुष्पा: द रूल’ ने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी है। दोनों फिल्मों में एक चीज कॉमन है— लाल चंदन की तस्करी (Red Sandalwood Smuggling)। शेषाचलम के जंगलों में होने वाली इस तस्करी को लेकर कहानी बुनी गई है, और यह सच्चाई से भी बहुत हद तक मेल खाती है। “लाल चंदन की तस्करी”और “महंगे लाल चंदन के कारण” (Reasons for Expensive Red Sandalwood) जैसे विषय इस लेख में विस्तार से चर्चा किए गए हैं।
क्या है लाल चंदन?
लाल चंदन, जिसे रक्त चंदन भी कहा जाता है, एक दुर्लभ और कीमती लकड़ी है। यह खासतौर पर आंध्र प्रदेश के तिरुपति और कडप्पा की पहाड़ियों में शेषाचलम के जंगलों में पाया जाता है। इसकी सुंदरता, उपयोगिता, और धार्मिक महत्व इसे बाकी लकड़ियों से अलग बनाते हैं। शैव और शाक्त समुदायों के लोग इसे पूजा में इस्तेमाल करते हैं।
क्यों है लाल चंदन इतना महंगा?
लाल चंदन को दुर्लभ चंदनों में गिना जाता है। आंध्र प्रदेश में इसकी कटाई पर प्रतिबंध है, और इसे राज्य से बाहर ले जाना गैर-कानूनी है।
इसकी महंगी कीमत के पीछे कई वजहें हैं:
- यह लकड़ी ऊंचे दर्जे के फर्नीचर, नक्काशी और सजावटी वस्तुओं के निर्माण में इस्तेमाल होती है।
- इसकी औषधीय गुण, जैसे गठिया और त्वचा संक्रमण का इलाज, इसे और मूल्यवान बनाते हैं।
- लाल चंदन में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो घाव भरने में मदद करते हैं।
- इसकी कीमत गुणवत्ता के आधार पर 50,000 रुपये से 2 लाख रुपये प्रति किलो तक होती है।
तस्करी की कहानी
लाल चंदन की तस्करी लंबे समय से एक बड़ा मुद्दा रही है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तस्कर इससे 1200% तक का मुनाफा कमाते थे। 2016 से 2020 के बीच भारत से करीब 20,000 टन लाल चंदन की तस्करी की गई।
इस लकड़ी को मुख्य रूप से चेन्नई, मुंबई, तुतीकोरिन, और कोलकाता के पोर्ट्स के जरिए चीन तक पहुंचाया जाता था।
‘पुष्पा’ की कहानी का सच्चाई से कनेक्शन
फिल्म ‘पुष्पा’ में जिस तरह लाल चंदन की तस्करी और इसके खतरों को दिखाया गया है, वह काफी हद तक वास्तविक है। तस्करी के कारण लाल चंदन के पेड़ों की संख्या में 50% तक की कमी आ चुकी है।
लाल चंदन का वैश्विक महत्व
लाल चंदन को ‘रेड गोल्ड’ भी कहा जाता है। इसकी मांग चीन, जापान, और यूरोप के देशों में सबसे ज्यादा है। इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा से लेकर लक्जरी सामानों के निर्माण तक में होता है।
लाल चंदन की तस्करी और इसकी महंगी कीमत न केवल पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि यह भारत की प्राकृतिक धरोहर को भी नुकसान पहुंचा रही है। “लाल चंदन की तस्करी” (Red Sandalwood Smuggling) और इसके उपयोग को नियंत्रित करना आज की जरूरत है।
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