बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कड़ा बयान दिया है और उनके तुरंत रिहाई की मांग की है। शेख हसीना ने कहा कि चिन्मय कृष्ण दास को “अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार” किया गया है और उन्हें “तुरंत रिहा” किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की भी अपील की है।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी: एक चिंता का विषय
चिन्मय कृष्ण दास, जो इस्कॉन से जुड़े एक सम्मानित हिंदू पुजारी हैं, उनकी गिरफ्तारी ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर चिंता को बढ़ा दिया है। शेख हसीना ने इस गिरफ्तारी को न केवल अन्यायपूर्ण बल्कि देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए खतरे की घंटी बताया है। उनका कहना था कि इस घटना ने बांग्लादेश में धार्मिक सहिष्णुता की स्थिति को और अधिक विकृत कर दिया है।
शेख हसीना का धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों पर बयान
अपने बयान में शेख हसीना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर हिंदुओं, पर हो रहे हमलों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह हमला तब हुआ है जब बांग्लादेश में उनकी सरकार का पतन हो चुका है। उनके अनुसार, बांग्लादेश की वर्तमान अंतरिम सरकार धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में विफल हो रही है।
शेख हसीना को 5 अगस्त को पद से हटाए जाने के बाद से बांग्लादेश में हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। इस दौरान चटगांव में मंदिरों को जलाए जाने जैसी घटनाएं हुईं, जबकि अहमदिया समुदाय के मस्जिदों और चर्चों पर भी हमले किए गए।
शेख हसीना का भारत में शरण
शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद उन्हें बांग्लादेश छोड़कर भारत आना पड़ा था। 5 अगस्त को वह दिल्ली के पास हिंडन एयरपोर्ट पर उतरीं और तब से दिल्ली में किसी अज्ञात स्थान पर रह रही हैं। उनके बांग्लादेश छोड़ने के बाद से धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले लगातार जारी हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बढ़ता हमला
अपने बयान में शेख हसीना ने अवामी लीग के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा, “सनातन धर्म के एक प्रमुख नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है और उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।” उन्होंने चटगांव में मंदिरों को जलाने की घटनाओं की भी आलोचना की। शेख हसीना ने बताया कि बांग्लादेश में अहमदिया समुदाय, मस्जिदों, चर्चों और अन्य धार्मिक स्थलों पर हमले होते रहे हैं, जिसमें लूटपाट और आगजनी जैसी घटनाएं शामिल हैं।
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उन्होंने आगे कहा, “अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को उनकी धार्मिक स्वतंत्रता और जीवन तथा संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।” शेख हसीना ने बांग्लादेश में हत्या, हमलों और गिरफ्तारियों के बाद उत्पीड़न की कड़ी निंदा की और कहा कि यह अराजकता पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
जैसा कि बांग्लादेश में स्थिति गंभीर बनी हुई है, शेख हसीना के बयान से ये स्पष्ट होता है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। उनका यह आह्वान बांग्लादेश सरकार से ये अपेक्षा करता है कि वो अपने नागरिकों, खासकर धार्मिक अल्पसंख्यकों, की सुरक्षा सुनिश्चित करे और उन्हें समान अधिकार दे।
इस समय, यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत रहे और बांग्लादेश में शांति और सुरक्षा की दिशा में कदम उठाए। बांग्लादेश में धार्मिक और जातीय विविधता का सम्मान करना और सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना आवश्यक है।
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