टेक्नोलॉजी

स्मार्टफोन की जासूसी: आपके फोन की बातें सुन रहे हैं Google और Facebook?

स्मार्टफोन की जासूसी: आपके फोन की बातें सुन रहे हैं Google और Facebook?
आजकल हर कोई स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता है, लेकिन क्या आपको पता है कि आपका फोन आपकी जासूसी कर रहा है? एक बड़ी मार्केटिंग कंपनी ने यह खुलासा किया है कि वह स्मार्टफोन यूजर्स की बातचीत सुनकर उसका इस्तेमाल करती है। यह जानकारी बड़े स्तर पर टेक कंपनियों के साथ साझा की जाती है, जिनमें Facebook, Google और Amazon जैसे दिग्गज शामिल हैं। इस लेख में हम इस खुलासे और इसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

कैसे होती है जासूसी? AI सॉफ्टवेयर की भूमिका

AI से डाटा कैप्चर
Cox Media Group (CMG) नामक मार्केटिंग कंपनी ने हाल ही में अपने निवेशकों के सामने यह स्वीकार किया कि उनका “एक्टिव लिसनिंग” सॉफ्टवेयर यूजर्स की बातचीत को सुनकर रियल-टाइम में डेटा कैप्चर करता है। इस सॉफ्टवेयर का उपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए किया जाता है, जो वॉइस डेटा को कैप्चर कर विश्लेषण करता है। इस डेटा को बाद में विज्ञापनदाताओं के साथ साझा किया जाता है, जिससे वे इन-मार्केट कंज्यूमर्स को टारगेट कर सकें।

डेटा का स्रोत
CMG के सॉफ्टवेयर ने 470 से अधिक स्रोतों से व्यवहारिक और वॉइस डेटा इकट्ठा किया है। यह डेटा उन उपभोक्ताओं की बातचीत और ऑनलाइन एक्टिविटी के आधार पर एक डेटा ट्रेल के रूप में होता है। इस डेटा का इस्तेमाल उपभोक्ता के इरादों का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है, ताकि उन्हें सही समय पर सही विज्ञापन दिखाया जा सके।

टेक कंपनियों की प्रतिक्रिया

Google और Meta की प्रतिक्रिया
CMG की इस खुलासे के बाद Google ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और कंपनी को अपने “पार्टनर्स प्रोग्राम” वेबसाइट से हटा दिया। दूसरी ओर, Facebook की पेरेंट कंपनी Meta ने कहा कि वह CMG का रिव्यू कर रही है, ताकि यह देखा जा सके कि उसने उनकी सर्विस की शर्तों का उल्लंघन किया है या नहीं।

उपभोक्ता सुरक्षा पर सवाल
इस खुलासे के बाद उपभोक्ताओं की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। क्या हमारा स्मार्टफोन हमारी जानकारी के बिना हमारी बातें सुन रहा है? क्या टेक कंपनियां हमारे निजी जीवन में इस हद तक घुसपैठ कर सकती हैं? यह सभी सवाल उपभोक्ताओं के मन में गूंज रहे हैं, और इसके जवाब तलाशे जा रहे हैं।

इस खुलासे का असर और निष्कर्ष

उपभोक्ता की जानकारी का उपयोग
इस खुलासे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि टेक कंपनियां उपभोक्ताओं की जानकारी का व्यापक रूप से उपयोग कर रही हैं। स्मार्टफोन का इस्तेमाल अब केवल एक साधारण डिवाइस तक सीमित नहीं है; यह हमारे निजी जीवन में भी झांकने का जरिया बन गया है।

उपभोक्ता को क्या करना चाहिए?
इस स्थिति में उपभोक्ताओं को सतर्क रहने की जरूरत है। अपने स्मार्टफोन की सेटिंग्स को नियमित रूप से चेक करें और यदि आवश्यक हो, तो माइक्रोफोन एक्सेस को नियंत्रित करें। इसके साथ ही, हमेशा सतर्क रहें और सोच-समझकर ऐप्स और सेवाओं का उपयोग करें।


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