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Uddhav-Raj Alliance: उद्धव ठाकरे की शिवसेना और राज ठाकरे की MNS के बीच गठबंधन? संजय राउत ने क्या कहा

Uddhav-Raj Alliance: उद्धव ठाकरे की शिवसेना और राज ठाकरे की MNS के बीच गठबंधन? संजय राउत ने क्या कहा

Uddhav-Raj Alliance: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। इस बार चर्चा का केंद्र हैं दो चचेरे भाई, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, जिनके बीच लंबे समय से चली आ रही अनबन अब खत्म होने की कगार पर दिख रही है। उद्धव-राज गठबंधन (Uddhav-Raj alliance) की संभावना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में, बल्कि आम लोगों के बीच भी उत्साह पैदा कर दिया है। खासकर तब, जब दोनों नेताओं ने मराठी अस्मिता के लिए एकजुटता (unity for Marathi identity) की बात कही है। यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि महाराष्ट्र में जल्द ही होने वाले निकाय चुनाव इस गठबंधन के लिए एक बड़ा मंच हो सकते हैं। आइए, इस कहानी को और करीब से समझते हैं।

एक पुराना रिश्ता, नई शुरुआत

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का रिश्ता केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि खून का भी है। दोनों शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के परिवार से हैं। लेकिन 2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़कर अपनी अलग पार्टी, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस), बनाई थी। इसके बाद दोनों के बीच दूरियां बढ़ती चली गईं। कई बार दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच टकराव भी देखने को मिला। लेकिन अब, करीब दो दशक बाद, दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के प्रति नरम रुख दिखाया है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह छोटी-मोटी अनबन को भुलाकर महाराष्ट्र के हित में एकजुट होने को तैयार हैं। वहीं, राज ठाकरे ने भी कहा कि उनके लिए मराठी अस्मिता और महाराष्ट्र का हित सबसे ऊपर है।

यह बात तब और स्पष्ट हुई, जब हाल ही में दोनों नेताओं ने एक साथ मराठी भाषा और संस्कृति को बचाने की बात उठाई। खासकर, राज्य सरकार के स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के फैसले के खिलाफ दोनों ने एकसुर में आवाज बुलंद की। उद्धव ने कहा कि मराठी को उसका हक मिलना चाहिए, जबकि राज ने इसे मराठी अस्मिता पर हमला बताया। इस मुद्दे ने दोनों को एक मंच पर लाने का काम किया है। मराठी अस्मिता के लिए एकजुटता (unity for Marathi identity) अब एक ऐसा नारा बन गया है, जो दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं को जोश से भर रहा है।

संजय राउत की बात और भावनात्मक जुड़ाव

शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने इस संभावित गठबंधन को और हवा दी। उन्होंने कहा कि उद्धव और राज भाई हैं, और उनका रिश्ता कभी टूटा नहीं। राउत ने यह भी साफ किया कि उद्धव ने इस गठबंधन के लिए कोई शर्त नहीं रखी है। लेकिन उन्होंने एक बात जरूर कही, जो महाराष्ट्र के लोगों के दिल को छू गई। राउत ने कहा कि कुछ दल महाराष्ट्र के हितैषी होने का दावा करते हैं, लेकिन उन्होंने बाला साहेब की शिवसेना को तोड़कर राज्य के गौरव को ठेस पहुंचाई। ऐसे दलों से दूरी रखना ही सच्चा मराठीपन है। यह बयान न केवल राजनीतिक था, बल्कि यह महाराष्ट्र के लोगों की भावनाओं को भी दर्शाता है।

राउत ने यह भी कहा कि उद्धव और राज मिलकर इस बारे में फैसला लेंगे कि गठबंधन को कैसे आगे बढ़ाना है। यह बयान इस बात का संकेत है कि दोनों पार्टियां अभी विचार-विमर्श के दौर में हैं। लेकिन जिस तरह से दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के प्रति सकारात्मक रुख दिखाया है, उससे लगता है कि उद्धव-राज गठबंधन (Uddhav-Raj alliance) जल्द ही हकीकत बन सकता है। खासकर, निकाय चुनावों के मद्देनजर यह गठबंधन दोनों पार्टियों के लिए एक नई ताकत बन सकता है।

मराठी माणूस और महाराष्ट्र का गौरव

महाराष्ट्र की राजनीति में मराठी माणूस का मुद्दा हमेशा से केंद्र में रहा है। शिवसेना और एमएनएस, दोनों ही पार्टियां इस मुद्दे को अपनी ताकत मानती हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में दोनों पार्टियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शिवसेना (यूबीटी) को 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी टूटने का बड़ा झटका लगा। वहीं, एमएनएस को हाल के विधानसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं मिली। ऐसे में, दोनों पार्टियों के लिए एकजुट होना न केवल राजनीतिक जरूरत है, बल्कि यह मराठी माणूस के लिए एक भावनात्मक अपील भी है।

राज ठाकरे ने एक पॉडकास्ट में कहा था कि उनके और उद्धव के बीच का झगड़ा महाराष्ट्र के सामने छोटा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मराठी लोग एक मंच पर आ जाएं, तो वे एक ऐसी ताकत बन सकते हैं, जो महाराष्ट्र के हितों की रक्षा करे। उद्धव ने भी इस बात का समर्थन किया और कहा कि वह छोटे-छोटे विवादों को भूलकर महाराष्ट्र के लिए काम करने को तैयार हैं। यह दोनों नेताओं का वह साझा दृष्टिकोण है, जो लोगों को उत्साहित कर रहा है।

लोगों में उत्साह, नेताओं में सतर्कता

इस संभावित गठबंधन की खबर ने महाराष्ट्र के लोगों में एक नई उम्मीद जगाई है। खासकर मुंबई, ठाणे, पुणे और नासिक जैसे शहरों में, जहां शिवसेना और एमएनएस का मजबूत आधार है, लोग इस खबर को लेकर उत्साहित हैं। एक स्थानीय निवासी, सचिन पाटिल, ने बताया कि वह दोनों पार्टियों को एक साथ देखना चाहते हैं, क्योंकि इससे मराठी माणूस की आवाज और मजबूत होगी। एक युवा कार्यकर्ता, प्रियांका जाधव, ने कहा कि यह गठबंधन नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा हो सकता है, जो मराठी संस्कृति को आगे ले जाना चाहती है।

हालांकि, कुछ लोग अभी भी सतर्क हैं। कुछ कार्यकर्ताओं का मानना है कि दोनों पार्टियों के बीच पुरानी कड़वाहट आसानी से खत्म नहीं होगी। एमएनएस के एक नेता, संदीप देशपांडे, ने कहा कि पहले भी गठबंधन की कोशिशें नाकाम रही हैं। लेकिन इस बार जिस तरह से दोनों नेता खुलकर बात कर रहे हैं, उससे उम्मीद बंधती है। दूसरी ओर, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस खबर का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि अगर दोनों भाई एकजुट होते हैं, तो यह एक अच्छी बात होगी। उनका यह बयान दिखाता है कि इस गठबंधन का असर पूरे राज्य की राजनीति पर पड़ सकता है।

निकाय चुनाव और भविष्य की राह

महाराष्ट्र में जल्द ही होने वाले बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और अन्य निकाय चुनाव इस गठबंधन के लिए एक बड़ा मौका हो सकते हैं। मुंबई में शिवसेना का लंबे समय से दबदबा रहा है, लेकिन हाल के सालों में वह कमजोर पड़ा है। वहीं, एमएनएस भी अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश में है। अगर दोनों पार्टियां साथ आती हैं, तो वे न केवल अपनी ताकत बढ़ा सकती हैं, बल्कि मराठी वोटरों को एकजुट करने में भी कामयाब हो सकती हैं।

इस संभावित गठबंधन ने न केवल महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ लाया है, बल्कि यह लोगों के बीच भी एक नई उम्मीद लेकर आया है। उद्धव और राज, जो कभी एक-दूसरे के खिलाफ खड़े थे, अब मराठी अस्मिता और महाराष्ट्र के गौरव के लिए एक साथ आने को तैयार दिख रहे हैं। यह कहानी अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन जिस तरह से दोनों नेता और उनके समर्थक इस दिशा में बढ़ रहे हैं, उससे लगता है कि महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है।

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