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Udhayanidhi Stalin’s Diwali Greeting: सनातन विवाद के बाद दिवाली पर उदयनिधि स्टालिन का नया संदेश, बीजेपी ने कसा तंज – जानिए पूरा विवाद

Udhayanidhi Stalin’s Diwali Greeting: सनातन विवाद के बाद दिवाली पर उदयनिधि स्टालिन का नया संदेश, बीजेपी ने कसा तंज - जानिए पूरा विवाद
Udhayanidhi Stalin’s Diwali Greeting: उदयनिधि स्टालिन का विवादास्पद बयान और दिवाली बधाई के बाद भारतीय राजनीति में उठे नए सवाल। बीजेपी की तीखी प्रतिक्रिया ने इस मुद्दे को गर्म कर दिया है।

उदयनिधि स्टालिन का दिवाली संदेश: एक नया विवाद

तमिलनाडु की राजनीति में उदयनिधि स्टालिन विवाद (Udhayanidhi Stalin Controversy) हमेशा चर्चा का विषय रहा है। हाल ही में उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म पर विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिसके बाद उन्होंने दिवाली पर अपने समर्थकों को बधाई दी। इस बधाई ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी, खासतौर से बीजेपी ने इस पर कड़ा विरोध जताया।

बीजेपी का तंज: ‘आस्थावानों को बधाई और बाकी को नरकासुर की जिंदगी’

उदयनिधि के इस बयान पर तमिलनाडु बीजेपी के प्रमुख नेता नारायणन तिरुपति ने कटाक्ष किया। उदयनिधि स्टालिन का दिवाली संदेश (Udhayanidhi Stalin’s Diwali Greeting) केवल दीपावली मनाने वालों तक सीमित था, जिसे लेकर तिरुपति ने इशारों में कहा कि ‘आस्थावानों को बधाई, और जो आस्थावान नहीं हैं, उन्हें नरकासुर की तरह जीने की बधाई।’ तिरुपति का यह बयान उदयनिधि के दिवाली संदेश पर बीजेपी का एक स्पष्ट हमला था।

बीजेपी ने डीएमके पर आरोप लगाया कि वे हमेशा हिंदू त्योहारों से दूरी बनाकर रखते हैं और धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं करते। इससे पहले भी डीएमके के नेता हिंदू त्योहारों पर अपने बयानों को लेकर विवादों में घिरे रहे हैं। इस बार जब उदयनिधि ने दीपावली की बधाई दी, तो इसे भी राजनीतिक रंग दे दिया गया। बीजेपी ने तंज कसते हुए कहा कि डीएमके की तर्कवादी विचारधारा के बावजूद, पार्टी नेता जब दिवाली की बधाई देने लगे, तो उन्हें खुद की विचारधारा पर पुनर्विचार करना चाहिए।

डीएमके और तर्कवादी दृष्टिकोण: उदयनिधि का बधाई संदेश और राजनीति

डीएमके (द्रविड़ मुनेत्र कषगम) की विचारधारा में तर्कवादी दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। एम. करुणानिधि, जो डीएमके के संस्थापक और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री थे, उन्होंने हमेशा धर्म और समाज के तर्कवादी दृष्टिकोण पर जोर दिया। डीएमके की परंपरा में धार्मिक त्योहारों को सामाजिक दृष्टि से देखा गया है। ऐसे में उदयनिधि स्टालिन का दिवाली संदेश उनके अनुयायियों के लिए अप्रत्याशित था। इस संदेश ने उनके समर्थकों को चौंका दिया, क्योंकि डीएमके नेता आमतौर पर धार्मिक बधाई देने से बचते रहे हैं।

उदयनिधि ने अपनी पार्टी के 75वें वर्षगांठ पर एक सार्वजनिक मंच से यह संदेश दिया। उन्होंने कहा, “मैं हमारी (डीएमके) प्लेटिनम जुबली की बधाई देता हूं और आस्थावानों तथा दिवाली मनाने वालों को शुभकामनाएं देता हूं।” उनके इस संदेश को उनके तर्कवादी दृष्टिकोण से हटकर देखा जा रहा है। लेकिन, यह भी माना जा सकता है कि उदयनिधि के इस बयान का उद्देश्य पार्टी की व्यापक पहुंच को बढ़ाना और ज्यादा से ज्यादा लोगों को साथ लेकर चलना था।

राज्यपाल पर कटाक्ष: ‘तमिलनाडु का द्रविड़म छूने का प्रयास न करें’

उदयनिधि ने केवल दिवाली बधाई ही नहीं दी, बल्कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि पर भी परोक्ष रूप से हमला बोला। उन्होंने राज्यपाल के ‘द्रविड़म’ शब्द के प्रति नापसंदगी पर टिप्पणी की और कहा कि, “द्रविड़म को कोई मिटा नहीं सकता। तमिलनाडु, तमिलनाडु ही रहेगा, जब तक हमारे झंडे का रंग काला और लाल है और जब तक द्रमुक कार्यकर्ता हैं। तमिलनाडु का द्रविड़म न ही मिटाया जा सकता है, और न ही इसे खत्म किया जा सकता है।”

उदयनिधि के इस बयान में यह स्पष्ट संकेत था कि वह अपनी पार्टी की विचारधारा को लेकर एक दृढ़ रुख अपनाए हुए हैं और तमिलनाडु के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को बाहरी हस्तक्षेप से बचाना चाहते हैं। राज्यपाल और डीएमके के बीच पिछले कुछ समय से चल रही टकराव ने राजनीतिक माहौल को और गर्मा दिया है। उदयनिधि का यह बयान राज्यपाल और बीजेपी के प्रति डीएमके के कड़े दृष्टिकोण को दर्शाता है।

राजनीतिक तंज और धर्म: तमिलनाडु की राजनीति में एक नई हलचल

तमिलनाडु की राजनीति में धर्म और तर्कवाद का गहरा संबंध है। डीएमके की तर्कवादी और द्रविड़वादी विचारधारा ने हमेशा से धार्मिक परंपराओं पर प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं, जबकि बीजेपी का दृष्टिकोण पूरी तरह से धर्म और परंपराओं को बढ़ावा देना है। उदयनिधि स्टालिन का दिवाली संदेश और बीजेपी का इस पर कटाक्ष, इस बात का संकेत हैं कि तमिलनाडु की राजनीति में हर घटना को सामाजिक और धार्मिक संदर्भों में भी देखा जाता है।

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