UP Election Special: आने वाले महीनों में उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। इन उपचुनावों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा और ‘दो लड़कों की जोड़ी’ यानी राहुल गांधी और अखिलेश यादव की दोस्ती की परीक्षा होगी।
क्यों हो रहे हैं उपचुनाव?
समाजवादी पार्टी और बीजेपी के 9 विधायक अब सांसद बन चुके हैं, इसलिए उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा, आगजनी मामले में सजा पाने के बाद इरफान सोलंकी की सिशामऊ विधानसभा सीट भी खाली हो गई है।
अखिलेश ने छोड़ी सीट
अखिलेश यादव ने कन्नौज सीट से जीत दर्ज करने के बाद करहल सीट छोड़ दी है। साथ ही, सपा के अवधेश प्रसाद और लालजी वर्मा भी सांसद बनने के बाद अपनी विधानसभा सीट छोड़ चुके हैं।
बीजेपी के लिए चुनौती
केंद्र और राज्य में डबल इंजन सरकार होने के बावजूद बीजेपी का प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा है, जो उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट भी बीजेपी के एजेंडे में है, जहां मंदिर निर्माण और शहर के विकास के बावजूद बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। माना जा रहा है कि इस सीट पर बीजेपी पासी उम्मीदवार को मौका दे सकती है।
करहल में किस पर दांव?
अखिलेश यादव के करहल सीट छोड़ने के बाद सपा इस सीट पर उनके भतीजे तेज प्रताप यादव को उतार सकती है। अखिलेश ने 2022 में इस सीट पर बीजेपी के एसपी सिंह बघेल को हराया था। कांग्रेस भी कुछ सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है और सपा उसे दो सीटें दे सकती है।
क्या बनी रहेगी दो लड़कों की जोड़ी?
2017 में अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई थी, लेकिन इस बार स्थिति बदल गई है। गैर यादव ओबीसी और दलित वोट भी अब सपा की ओर शिफ्ट हो रहे हैं, जिससे सपा और कांग्रेस के सुर बदल गए हैं। देखना होगा कि इस बार ये जोड़ी कितना असर डाल पाती है।
इन 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव न केवल बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन के लिए भी एक बड़ी परीक्षा हैं। दोनों ही पार्टियों के नेता अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में हैं, ताकि इन चुनावों में जीत हासिल कर सकें।