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क्या होती है मकर संक्रांति, इस दिन सूर्य में क्या आता है बदलाव, जो होता है साल में एक बार?

मकर संक्रांति
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मकर संक्रांति (Makar Sankranti) भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। ये न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि वैज्ञानिक नजरिए से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन सूर्य मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करता है, जो मौसम और प्रकृति में बदलाव का प्रतीक है। इसे हिंदी में “मकर राशि में सूर्य का प्रवेश” और अंग्रेज़ी में “Sun’s transition into Capricorn” के रूप में जाना जाता है।

मकर संक्रांति का खगोलीय महत्व
मकर संक्रांति का मुख्य आधार पृथ्वी की परिक्रमा और उसकी झुकी धुरी है। पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री के झुकाव के साथ सूर्य का चक्कर लगाती है। ये झुकाव ही दिन-रात की अवधि और ऋतुओं के बदलाव के लिए जिम्मेदार होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करता है। ये “सूर्य का राशि परिवर्तन” (Sun’s Zodiac Transition) कहलाता है, जो साल में एक बार होता है।

दिन और रात की अवधि में बदलाव
मकर संक्रांति के बाद से दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी। ये परिवर्तन इस बात का संकेत है कि पृथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य के करीब आ रहा है। खगोलशास्त्र के अनुसार, ये समय पृथ्वी पर गर्मियों की शुरुआत का पहला संकेत देता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
मकर संक्रांति को भारत में अलग-अलग नामों और तरीकों से मनाया जाता है।

उत्तर भारत में इसे “खिचड़ी” पर्व कहा जाता है। पश्चिम भारत में इसे “उत्तरायण” कहा जाता है।
दक्षिण भारत में इसे “पोंगल” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और पतंग उड़ाने की परंपरा है। ये त्योहार मानव जीवन में ऊर्जा, परिवर्तन और उत्साह का प्रतीक है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पर्व का महत्व
मकर संक्रांति न केवल एक सांस्कृतिक पर्व है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं।

सूर्य की स्थिति: यह दिन इस बात का प्रतीक है कि सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर बढ़ रहा है।
पृथ्वी की धुरी का झुकाव: इस झुकाव के कारण सूर्य का दक्षिणी गोलार्द्ध से उत्तरी गोलार्द्ध की ओर झुकाव प्रतीत होता है।
यह वैज्ञानिक परिवर्तन फसलों की पैदावार, पर्यावरण, और जलवायु पर गहरा प्रभाव डालता है।

मकर वृत्त और संक्रांति का ऐतिहासिक पहलू
मकर वृत्त (Tropic of Capricorn) वो काल्पनिक रेखा है, जहां सूर्य 21 दिसंबर को सीधा चमकता है। हालांकि, 1700 वर्षों पहले मकर संक्रांति 21 दिसंबर को मनाई जाती थी। समय के साथ खगोलीय घटनाओं में बदलाव और पृथ्वी की धुरी के झुकाव के कारण ये तारीख धीरे-धीरे बदलकर 14 जनवरी पर आ गई।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है; ये एक खगोलीय घटना भी है, जो हमें सूर्य, पृथ्वी, और उनके आपसी संबंधों के बारे में जागरूक करती है। ये पर्व न केवल हमारी परंपराओं को सजीव रखता है, बल्कि वैज्ञानिक सोच को भी प्रोत्साहित करता है।

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