इलेक्ट्रिक कारों की दुनिया में चीन का दबदबा है और भारत अभी काफी पीछे है। दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के लिए भी चीन एक बहुत बड़ा बाज़ार है। हाल ही में टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने भारत की बजाय चीन की यात्रा को चुना। आइए जानते हैं कि आखिर चीन में ऐसा क्या है जो उसे टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए आकर्षक बनाता है।
आपको बता दें कि इलेक्ट्रिक कार अभी भारत में उतनी लोकप्रिय नहीं हैं जितनी चीन में। इसकी वजहें हैं, लेकिन उन पर बात करने से पहले आपको ये जानना चाहिए कि इलेक्ट्रिक कारों की जान होती है उनकी बैटरी।
चीन के पास है बैटरी बनाने की ताकत
इलेक्ट्रिक कार बनाने में सबसे जरूरी चीज है उसकी बैटरी। चीन दुनिया की आधी से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें बेचता है क्योंकि वही दुनिया में सबसे ज्यादा बैटरी बनाता है। मस्क ने हाल ही में चीन की सबसे बड़ी बैटरी कंपनी CATL के चेयरमैन से मुलाकात भी की थी। CATL कंपनी दुनिया की दो-तिहाई बैटरी बनाती है और वोक्सवैगन और टोयोटा जैसी बड़ी कंपनियों के साथ टेस्ला को भी बैटरी देती है।
टेस्ला का चीन में है सबसे बड़ा कारखाना
सिर्फ बैटरी ही नहीं, कार बनाने में भी चीन ने अमेरिका और यूरोप को काफी पीछे छोड़ दिया है। टेस्ला ने 2018 में चीन के शंघाई शहर में अपना सबसे बड़ा कारखाना खोला था। इस कारखाने में टेस्ला की सबसे ज्यादा बिकने वाली Model 3 और Model Y कारें बनाई जाती हैं। ये अकेला कारखाना हर साल 10 लाख से ज्यादा कारें बनाता है और चीन से न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप तक कारें भेजजी जाती हैं।
भारत में नहीं बनती इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी
भारत में इलेक्ट्रिक कारें लोकप्रिय तो हो रही हैं, लेकिन अभी भी लोग पेट्रोल-डीज़ल की कारों का ही ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। दूसरी समस्या ये है कि भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी नहीं बनाई जाती, बल्कि उन्हें बाहर से मंगवाना पड़ता है। हालांकि, भारत सरकार इस स्थिति को बदलने की कोशिश कर रही है और देश में ही बैटरी बनाने वाली कंपनियों को बढ़ावा दे रही है।
चीन से बनी इलेक्ट्रिक कारों की गुणवत्ता और कीमतों को लेकर यूरोप और अमेरिका में चिंताएं हैं और वहां की सरकारें जांच कर रही हैं। ऐसे में भारत के पास इलेक्ट्रिक कारों का बड़ा निर्माता और निर्यातक बनने का एक मौका है। हाला्ंकि भारत को इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा देने के लिए सस्ती बैटरी बनाने के साथ-साथ अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे चार्जिंग स्टेशन) भी विकसित करना होगा।
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