कर्नाटक में प्रज्वल रेवन्ना यौन उत्पीड़न कांड से राजनीतिक भूचाल: कर्नाटक की राजनीति एक बार फिर झकझोर गई है, जब जनता दल (सेक्युलर) के सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर गंभीर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। पूर्व भाजपा विधायक प्रीतम गौड़ा के दो सहयोगियों को उन हजारों वीडियो क्लिप्स, फोटो और दस्तावेजों को लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जिनमें प्रज्वल द्वारा कथित तौर पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का सबूत है।
यह मामला तब सामने आया जब एक 47 वर्षीय महिला ने शिकायत दर्ज कराई कि प्रज्वल और उनके पिता एचडी रेवन्ना ने उसके साथ यौन उत्पीड़न किया है। इस महिला का दावा है कि वह रेवन्ना परिवार की मूल रसोइया थी और एचडी रेवन्ना की मां की चचेरी बहन है। आरोपों के मुताबिक, प्रज्वल ने कई अन्य महिलाओं का भी यौन शोषण किया है।
इस घटना ने कर्नाटक की राजनीति में तूफान ला दिया है। जद(एस) ने शर्मिंदगी महसूस करते हुए 30 अप्रैल को प्रज्वल को निलंबित कर दिया। पार्टी के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि रेवन्ना परिवार पार्टी का चेहरा माना जाता रहा है। लेकिन इस कांड से पार्टी की छवि को भारी नुकसान पहुंचा है।
वहीं, विपक्ष ने इस मामले को लेकर सरकार पर हमला बोल दिया है। भाजपा और कांग्रेस का आरोप है कि जद(एस) यौन अपराधियों की पार्टी बन गई है। दोनों दल जांच की मांग कर रहे हैं और इस मामले को लेकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
हालांकि यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है। इसमें महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध शामिल हैं, जिनकी जांच एवं त्वरित न्याय होना चाहिए। केंद्र सरकार ने यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए विशेष जांच दल की नियुक्ति का निर्देश दिया है। पीड़ितों को इंसाफ मिले, इसके लिए न्यायपालिका, नागरिक समाज और मीडिया की भूमिका अहम होगी।
इस तरह के मामले पूरे समाज के लिए चेतावनी हैं। यौन उत्पीड़न से एक स्वस्थ समाज कभी नहीं बन सकता। इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे, भले ही आरोपी कितने ही शक्तिशाली क्यों न हों।