इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रमुख डॉ. आर. वी. अशोकन ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर दिए गए अपने बयान के लिए माफी मांगी है। उन्होंने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा भी दाखिल किया है। डॉ. अशोकन का कहना है कि उनका न्यायालय की गरिमा को कम करने का कभी कोई इरादा नहीं था।
सार्वजनिक माफी
डॉ. आर. वी. अशोकन ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि उन्होंने अपनी टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य कभी भी सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाना नहीं था। यह माफी उस बयान के संदर्भ में है, जो उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान दिया था और जिससे सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंची थी।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से जुड़े भ्रामक विज्ञापन मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि आईएमए को भी अपने घर को ठीक करने की जरूरत है। इस टिप्पणी के बाद डॉ. अशोकन ने एक बयान दिया था, जिसके लिए अब उन्होंने माफी मांगी है।
हलफनामा दाखिल
डॉ. अशोकन ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए बिना शर्त माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि आईएमए ने कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे भ्रामक विज्ञापनों और दुर्भावनापूर्ण अभियानों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की है। एक इंटरव्यू के दौरान दिए गए कुछ बयानों पर खेद व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को कम करना नहीं था।
नैतिकता और आईएमए की पहल
डॉ. अशोकन ने कहा कि नैतिक प्रथाओं का निरंतर अपडेट और प्रसार आईएमए की मुख्य गतिविधियों में से एक है। उन्होंने बताया कि हाल ही में आईएमए ने मरीजों की चिंताओं को दूर करने के लिए रोगी समूहों के साथ संवाद स्थापित किया और बेंगलुरु में एक संयुक्त घोषणा जारी की गई।
डॉ. आर. वी. अशोकन ने अपनी टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है और सुप्रीम कोर्ट में भी बिना शर्त माफी मांगते हुए हलफनामा दाखिल किया है। उनका कहना है कि उनका उद्देश्य कभी भी सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाना नहीं था, और वे इस घटना से सबक लेकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।
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