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धर्मांतरण के ऐलान पर बवाल, जानिए कौन हैं मौलाना तौकीर रजा?

मौलाना तौकीर रजा

मौलाना तौकीर रजा उत्तर प्रदेश के बरेली से एक प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरु हैं, जिनका नाम अक्सर विवादों से जुड़ा रहता है। वे सुन्नी मुस्लिमों के बरेलवी समुदाय से संबंध रखते हैं और इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष हैं। उनका संबंध आला हजरत खानदान से है, जिसने इस्लाम के सुन्नी बरेलवी मसलक की नींव रखी थी। मौलाना तौकीर रजा न केवल धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय हैं, बल्कि राजनीति में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं।

मौलाना तौकीर रजा का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 2001 में उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी इत्तेहाद-ए-मिल्लत परिषद की स्थापना की। उनकी पार्टी ने अपने पहले ही चुनाव में नगरपालिका की 10 सीटें जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। 2009 में वे कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन यह गठबंधन लंबे समय तक नहीं चला। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन किया और उनकी पार्टी ने भोजीपुरा से जीत हासिल की। हालांकि, 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद उन्होंने सपा से किनारा कर लिया।

मौलाना तौकीर रजा

मौलाना तौकीर रजा के विवादित बयान उनकी पहचान का एक अहम हिस्सा रहे हैं। 2022 में, उन्होंने एक सार्वजनिक सभा में कहा था कि अगर मुस्लिम युवाओं को कानून हाथ में लेने के लिए मजबूर किया गया, तो हिंदुओं को भारत में कहीं छिपने की जगह नहीं मिलेगी। इस तरह के बयान समाज में तनाव पैदा करने वाले माने गए। 2007 में, उन्होंने बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन के खिलाफ फतवा जारी किया था और उनके सिर काटकर लाने वाले को 5 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की थी, जो कि अत्यंत विवादास्पद था।

हाल ही में, मौलाना तौकीर रजा ने 23 हिंदू युवाओं का धर्म परिवर्तन कर इस्लाम में शामिल करवाने का ऐलान किया। उन्होंने 21 जुलाई को 5 जोड़ों का निकाह करवाने की भी घोषणा की। यह घोषणा बरेली में तनाव का कारण बन गई है। स्थानीय पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि वे किसी भी तरह के सांप्रदायिक तनाव को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

मौलाना तौकीर रजा की ये गतिविधियाँ और बयान लगातार विवाद का कारण बनते रहे हैं। उनका जीवन धार्मिक और राजनीतिक दोनों क्षेत्रों में विवादों से भरा रहा है। उनके समर्थक उन्हें एक मजबूत नेता मानते हैं, जबकि आलोचक उन्हें समाज में विभाजन पैदा करने वाला व्यक्ति करार देते हैं।

यह स्पष्ट है कि मौलाना तौकीर रजा एक जटिल और विवादास्पद व्यक्तित्व हैं। उनके कार्य और बयान अक्सर सामाजिक सद्भाव के लिए चुनौती बन जाते हैं। ऐसे में, यह महत्वपूर्ण है कि समाज के सभी वर्गों के बीच शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए सावधानीपूर्वक और जिम्मेदारी से काम किया जाए। धार्मिक नेताओं की भूमिका समाज को जोड़ने की होनी चाहिए, न कि विभाजित करने की।

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