पिछले महीने महाराष्ट्र के नागपुर स्थित गोरेवाड़ा एनिमल रेस्क्यू सेंटर में एक दुखद घटना घटी थी, जिसमें तीन बाघों और एक तेंदुए की मौत हो गई थी। अब, उनकी मौत के कारणों की मेडिकल रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें “बर्ड फ्लू” की पुष्टि हुई है। इस खुलासे के बाद चंद्रपुर के ताडोबा जंगल और राज्य के सभी नेशनल पार्क को अलर्ट पर रखा गया है। गोरेवाड़ा प्रशासन इस मामले के बाद से चिंतित है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठा रहा है।
महाराष्ट्र में पहली बार बर्ड फ्लू से हुई बाघों की मौत
मिली जानकारी के अनुसार, गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर में बर्ड फ्लू के कारण बाघों की मौत का ये महाराष्ट्र में पहला मामला है। ये तीनों बाघ चंद्रपुर रेस्क्यू सेंटर से गोरेवाड़ा लाए गए थे और इनका इलाज चल रहा था। करीब 8-10 दिन पहले इन तीन बाघों और एक तेंदुए की अचानक मौत हो गई। शुरुआती जांच में मौत के कारणों का पता नहीं चल सका था, लेकिन अब मेडिकल रिपोर्ट ने स्थिति स्पष्ट कर दी है।
H5N1 वायरस की पुष्टि
जानवरों की मौत की वजह जानने के लिए उनके सैंपल भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज (ICAR) भेजे गए थे। जांच में ये पाया गया कि तीनों बाघ और तेंदुए की मौत H5N1 वायरस, जिसे बर्ड फ्लू के नाम से जाना जाता है, के कारण हुई। रिपोर्ट के बाद, गोरेवाड़ा प्रशासन ने 26 तेंदुओं और 12 बाघों की जांच की, लेकिन उनमें वायरस नहीं पाया गया, और वे स्वस्थ हैं।
बर्ड फ्लू कैसे फैलता है?
एक्सपर्ट्स के अनुसार, बर्ड फ्लू और इस तरह के अन्य वायरस जानवरों में कच्चा मांस खाने के कारण फैलते हैं। ये वायरस जानवरों के इम्यून सिस्टम पर हमला करता है, जिससे उनकी मृत्यु हो सकती है।
राज्यभर में अलर्ट जारी
H5N1 वायरस की पुष्टि के बाद, राज्य के सभी जंगलों, एनिमल रेस्क्यू सेंटर्स और बर्ड सेंचुरी में अधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया है। बचाए गए जानवरों को अलग-अलग जगहों पर रखने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि वायरस के फैलने की संभावना को रोका जा सके।
गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर की घटना के बाद, प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं। इनमें नियमित जांच, कच्चे मांस के उपयोग पर प्रतिबंध और संक्रमित जानवरों को आइसोलेशन में रखना शामिल है।
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