पालघर जिले के लोगों के लिए एक नई सुबह शुरू हुई है। लंबे समय से प्रतीक्षित रो-रो फेरी (Ro-Ro Ferry) सेवा, जो विरार के नारंगी में मरंबलपाड़ा और पालघर के जलसार में खारवडेश्री को जोड़ती है, 19 अप्रैल 2025 से संचालन की शुरुआत कर चुकी है। यह सेवा न केवल यात्रियों का समय बचाएगी, बल्कि विरार, वसई, सापले, और केलवा जैसे क्षेत्रों के बीच आवागमन को भी आसान बनाएगी। इस लेख में हम इस विरार-खारवडेश्री यात्रा (Virar-Kharwadeshri Travel) की पूरी कहानी को समझेंगे।
पालघर और विरार के बीच सड़क मार्ग से यात्रा करना हमेशा से एक चुनौती रहा है। 60 किलोमीटर की दूरी तय करने में करीब डेढ़ घंटे लगते हैं। सुबह और शाम के समय तो भीड़भाड़ और ट्रैफिक इस सफर को और लंबा कर देते हैं। लेकिन अब, महाराष्ट्र समुद्री बोर्ड (एमएमबी) ने इस समस्या का एक अनोखा हल निकाला है। रो-रो फेरी सेवा के जरिए, 1.5 किलोमीटर का समुद्री रास्ता केवल 15 से 20 मिनट में तय किया जा सकता है। यह न केवल समय की बचत करता है, बल्कि ईंधन की खपत को भी कम करता है।
इस परियोजना की कहानी कई साल पुरानी है। 2017 में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सागरमाला पहल के तहत इसकी शुरुआत हुई थी। उस समय इस परियोजना को 12.92 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली थी, लेकिन बाद में मार्च 2023 में इसे बढ़ाकर 23.68 करोड़ रुपये कर दिया गया। इस फेरी सेवा को संचालित करने का जिम्मा सुवर्णदुर्ग शिपिंग एंड मरीन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया है। कंपनी ने पहले से ही वसई-भायंदर मार्ग पर ऐसी ही सेवा शुरू की है, जिसे लोगों ने खूब सराहा है।
इस सेवा को शुरू करने में कई बाधाएं भी आईं। जलसार और खारवेंड्री गांवों में मैंग्रोव वन क्षेत्र होने के कारण जेटी निर्माण में देरी हुई। लेकिन राज्य सरकार के राजस्व और वन विभाग ने 4790 वर्ग मीटर मैंग्रोव क्षेत्र को महाराष्ट्र समुद्री बोर्ड को हस्तांतरित कर इस समस्या का समाधान किया। मरंबलपाड़ा में जेटी का निर्माण अगस्त 2021 में ही पूरा हो गया था, जिसमें लगभग 30 करोड़ रुपये की लागत आई। हालांकि, खारवडेश्री में स्थायी जेटी का निर्माण अभी भी चल रहा है और इसे पूरा होने में 14 महीने और लग सकते हैं। तब तक, एक अस्थायी रैंप के जरिए सेवा शुरू की गई है।
इस विरार-खारवडेश्री यात्रा की सबसे खास बात है इसका समय और दूरी का अंतर। सड़क मार्ग से 60 किलोमीटर का सफर जहां डेढ़ घंटे लेता है, वहीं फेरी सिर्फ 1.5 किलोमीटर की दूरी 15 से 20 मिनट में तय करती है। यह उन लोगों के लिए वरदान साबित होगी जो रोजाना विरार से पालघर या इसके उलट यात्रा करते हैं। पर्यटकों के लिए भी यह सेवा एक नया अनुभव लेकर आएगी, क्योंकि समुद्र के रास्ते सफर करना अपने आप में रोमांचक है।
फेरी का संचालन सुबह 6:30 बजे विरार से शुरू होगा, और आखिरी फेरी खारवडेश्री से शाम 7:00 बजे रवाना होगी। दिन में तीन सत्रों में फेरी चलेंगी, और हर सत्र में 15 मिनट के अंतराल पर सेवाएं उपलब्ध होंगी। 25 अप्रैल से रात की सेवाएं भी शुरू होने की उम्मीद है, जिसमें आखिरी फेरी विरार से रात 10:00 बजे और जलसार से 10:10 बजे रवाना होगी। यह समय-सारिणी खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद होगी जो देर रात तक काम करते हैं।
इस फेरी की किराया संरचना भी काफी किफायती रखी गई है। यह वसई-भायंदर फेरी के किराए के समान है। एक साइकिल के लिए 10 रुपये, मोटरसाइकिल (चालक सहित) के लिए 66 रुपये, और चार पहिया कार (चालक सहित) के लिए 200 रुपये का किराया निर्धारित किया गया है। इसके अलावा, वयस्क यात्री (12 वर्ष से अधिक) के लिए 30 रुपये और 3 से 12 वर्ष के बच्चों के लिए 15 रुपये का टिकट होगा। भारी वाहनों, जैसे ट्रक और बस, के लिए किराया 330 से 550 रुपये के बीच है। पशुधन, मछली, या फल जैसी चीजों के लिए भी अलग से किराया निर्धारित किया गया है, जो 40 से 55 रुपये प्रति इकाई है।
हर फेरी में 20 छोटी चार पहिया गाड़ियां, 25 दोपहिया वाहन, और बड़ी संख्या में यात्री सफर कर सकते हैं। महाराष्ट्र समुद्री बोर्ड ने सुरक्षा और संचालन के हर पहलू की गहन जांच की है। नेविगेशन, जेटी की संरचना, और यात्रियों व वाहनों को चढ़ाने-उतारने की प्रक्रिया को पूरी तरह से परखा गया है। यह सेवा न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि यात्रियों को एक आरामदायक अनुभव भी प्रदान करती है।
यह परियोजना पालघर जिले के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। यह न केवल स्थानीय लोगों के लिए आवागमन को आसान बनाएगी, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देगी। सापले और केलवा जैसे क्षेत्र, जो अपने समुद्र तटों के लिए प्रसिद्ध हैं, अब और भी सुलभ हो जाएंगे। इसके अलावा, यह सेवा पालघर जिले के मुख्यालय तक पहुंच को भी आसान बनाएगी, जो सड़क मार्ग से विरार से लगभग 70 किलोमीटर दूर है।
इस फेरी सेवा ने सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा बटोरी है। लोग इसे एक क्रांतिकारी कदम बता रहे हैं, जो न केवल समय और पैसे की बचत करेगा, बल्कि सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव भी कम करेगा। खासकर युवा पीढ़ी, जो तेज और सुविधाजनक यात्रा के विकल्प तलाशती है, इस सेवा को लेकर उत्साहित है।