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Dharavi Redevelopment: ‘धारावी पुनर्विकास’ 256 एकड़ नमक पैन भूमि पर बनेगा नया ठिकाना

Dharavi Redevelopment: 'धारावी पुनर्विकास' 256 एकड़ नमक पैन भूमि पर बनेगा नया ठिकाना

Dharavi Redevelopment: मुंबई, जिसे भारत की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, अपनी बढ़ती आबादी और सीमित जमीन के बीच हमेशा नए रास्ते तलाशती रही है। इस बार, धारावी पुनर्विकास परियोजना (Dharavi Redevelopment Project) के तहत महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के मुलुंड, कांजुरमार्ग और भांडुप में लगभग 256 एकड़ नमक पैन भूमि को आवासीय उपयोग के लिए मंजूरी दी है। यह भूमि उन धारावी निवासियों के लिए है, जो वहां पुनर्वास के लिए पात्र नहीं हैं। इस फैसले ने जहां एक ओर किफायती आवास की उम्मीद जगाई है, वहीं नमक पैन भूमि उपयोग (Salt Pan Land Use) से जुड़े पर्यावरणीय और स्वामित्व के सवाल भी खड़े किए हैं।

धारावी, जो एशिया का सबसे बड़ा स्लम क्षेत्र है, अपने घने बस्तियों और विविध समुदायों के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र के पुनर्विकास का सपना लंबे समय से देखा जा रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि धारावी के पात्र निवासियों को 350 वर्ग फुट के मकान दिए जाएं, जो अन्य स्लम पुनर्वास परियोजनाओं के 300 वर्ग फुट के मकानों से बड़े हैं। लेकिन जो लोग पात्रता की शर्तों, जैसे कि 1 जनवरी 2000 से पहले की बस्ती या भूतल पर निवास, को पूरा नहीं करते, उन्हें धारावी के बाहर किराये के आवास में स्थानांतरित किया जाएगा। इसके लिए नमक पैन भूमि को चुना गया है।

महाराष्ट्र सरकार ने इस भूमि को केंद्र सरकार से 99 साल की लीज पर हासिल किया है। धारावी पुनर्विकास परियोजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.वी.आर. श्रीनिवास ने स्पष्ट किया कि यह भूमि लगभग एक दशक पहले नमक आयुक्त द्वारा बंद कर दी गई थी। इसका मतलब है कि यहां नमक उत्पादन पूरी तरह से रुक चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वी एक्सप्रेस हाईवे के निर्माण के बाद से इस भूमि तक समुद्री पानी नहीं पहुंचता। यह भूमि नदियों, आर्द्रभूमियों या प्रवासी पक्षियों के आवास से दूर है, इसलिए यह तटीय नियमन क्षेत्र (Coastal Regulation Zone) के दायरे में नहीं आती।

श्रीनिवास ने पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि परियोजना शुरू होने से पहले सभी जरूरी पर्यावरणीय मंजूरी ली जाएंगी। उनका तर्क है कि अगर इस भूमि पर मेट्रो कार शेड जैसे निर्माण हो सकते हैं, तो गरीबों के लिए आवास क्यों नहीं? उदाहरण के तौर पर, कांजुर में 15 एकड़ नमक पैन भूमि को मेट्रो लाइन 6 के कार शेड के लिए पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। इसी तरह, वडाला में केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क विभाग ने 55 एकड़ नमक पैन भूमि पर कार्यालय और आवासीय परिसर बना लिया है।

यह पहली बार नहीं है जब नमक पैन भूमि को विकास के लिए चुना गया है। मुंबई के विकास योजना 2034 में इन क्षेत्रों को किफायती आवास के लिए चिह्नित किया गया था। साल 2007 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने भी 2,000 हेक्टेयर से अधिक नमक पैन भूमि को बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए प्रस्तावित किया था। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा है कि नमक पैन भूमि के बिना मुंबई का पुनर्विकास असंभव है। यह बयान शहर की बढ़ती जनसंख्या और आवास की कमी की गंभीरता को दर्शाता है।

हालांकि, यह फैसला सभी के लिए स्वीकार्य नहीं है। पर्यावरणविदों ने इसे पारिस्थितिकीय रूप से हानिकारक बताया है। नमक पैन भूमि निचले इलाकों में होती है, जो बारिश के पानी को सोखकर बाढ़ को रोकने में मदद करती है। ये क्षेत्र जैव-विविधता को भी समर्थन देते हैं और तटीय क्षेत्रों की प्राकृतिक सुरक्षा के रूप में काम करते हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि इन जमीनों पर बड़े पैमाने पर निर्माण से मुंबई में 26 जुलाई 2005 जैसी बाढ़ की स्थिति फिर से पैदा हो सकती है, जब 24 घंटे में 944 मिलीमीटर बारिश ने भारी तबाही मचाई थी।

धारावी के निवासियों ने भी इस कदम का विरोध किया है। उनका कहना है कि उन्हें धारावी में ही पुनर्वासित किया जाना चाहिए। नमक पैन भूमि पर बनने वाले किराये के आवास उन्हें अपने मूल स्थान से दूर ले जाएंगे, जिससे उनकी आजीविका और सामाजिक ताने-बाने पर असर पड़ेगा। उदाहरण के तौर पर, धारावी में कई लोग छोटे-मोटे व्यवसाय चलाते हैं, जो उनकी वहां की स्थिति के कारण संभव है। कांजुरमार्ग या मुलुंड में स्थानांतरण उनके लिए आर्थिक चुनौती पैदा कर सकता है।

स्वामित्व के सवाल भी कम महत्वपूर्ण नहीं हैं। श्रीनिवास ने स्पष्ट किया कि यह भूमि केंद्र सरकार से महाराष्ट्र सरकार को हस्तांतरित की गई है, और इसका स्वामित्व हमेशा राज्य सरकार के पास रहेगा। धारावी पुनर्विकास परियोजना (Dharavi Redevelopment Project) और स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (एसआरए) को केवल इसका उपयोग करने का अधिकार दिया गया है। परियोजना का निजी भागीदार, नवभारत मेगा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (एनएमडीपीएल), केवल भूमि की प्रीमियम राशि का भुगतान करेगा। इससे यह सुनिश्चित होता है कि भूमि का दुरुपयोग या निजीकरण नहीं होगा।

नमक पैन भूमि का यह उपयोग मुंबई के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। यह कदम शहर की आवास समस्या को हल करने की दिशा में एक प्रयास है, लेकिन इसके साथ आने वाली पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियां अनदेखी नहीं की जा सकतीं। नई पीढ़ी, जो पर्यावरण और सामाजिक न्याय के प्रति जागरूक है, इस परियोजना को करीब से देख रही है।

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