मुंबई

आखिर किस वजह से तोड़ा गया मुंबई का 35 साल पुराना जैन मंदिर?

Mumbai Jain Temple
Image Source - Web

मुंबई के विले पार्ले में 35 साल पुराने पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर को मुंबई महानगरपालिका (BMC) द्वारा ध्वस्त किए जाने के बाद जैन और हिंदू समुदाय ने एकजुट होकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।

क्या हुआ विले पार्ले में?
16 अप्रैल को मुंबई महानगरपालिका ने विले पार्ले ईस्ट के कांबलीवाड़ी इलाके में स्थित जैन मंदिर पर बुलडोजर चलाकर उसे पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। ये मंदिर नेमिनाथ सहकारी आवास भवन के पास पार्किंग स्थल पर बना था, और इस जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। मामला कोर्ट में लंबित था, लेकिन BMC ने कोर्ट की सुनवाई से पहले ही कार्रवाई कर दी।

“मंदिर सिर्फ एक पत्थर नहीं है, ये हमारी पहचान और संस्कृति है,”

ये नारा विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों के दिलों की आवाज बन गया।

समुदाय का गुस्सा और शांतिपूर्ण मार्च
शनिवार को जैन समाज और विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में हजारों लोगों ने विले पार्ले ईस्ट में BMC वॉर्ड कार्यालय तक शांतिपूर्ण मार्च निकाला। इस मार्च में जैन और हिंदू समुदाय के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। लोग नारे लगा रहे थे जैसे – “हम शांत हैं, कमज़ोर नहीं।”, “डर के नहीं, डट के खड़ा है पूरा समाज।”

विरोध प्रदर्शन में शामिल मनीष जैन ने कहा, “अगर इस देश में मंदिर ही सुरक्षित नहीं हैं, तो हम कैसे सुरक्षित रहेंगे?” वहीं, स्थानीय निवासी एक महिला ने बताया कि मंदिर तोड़े जाने के दिन वे वहां पूजा कर रही थीं, लेकिन पुलिस ने उन्हें घसीटकर बाहर निकाल दिया और कोई सामग्री ले जाने की अनुमति नहीं दी।

BMC की कार्रवाई और जवाबदेही
इस घटना के बाद BMC के आयुक्त भूषण गगरानी ने बताया कि ईस्ट वॉर्ड के अधिकारी नवनाथ घाडगे को इस कार्रवाई के सिलसिले में बर्खास्त कर दिया गया है। दूसरी ओर, मुंबई नॉर्थ-सेंट्रल की सांसद वर्षा एकनाथ गायकवाड़ ने दावा किया कि BMC आयुक्त ने उन्हें आश्वासन दिया है कि मंदिर को फिर से उसी स्थान पर बनाया जाएगा।

कानूनी लड़ाई और कोर्ट का रुख
ये मामला लंबे समय से कोर्ट में चल रहा था। सत्र अदालत ने मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, जिसके बाद मामला बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट ने BMC को चार बार मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया था और पांचवीं बार आदेश न मानने पर अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दी थी।

अखिल भारतीय जैन अल्पसंख्यक महासंघ के अध्यक्ष ललित गांधी ने बताया कि 15 अप्रैल को कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी थी, और 16 अप्रैल को सुबह 11 बजे सुनवाई होनी थी। लेकिन BMC ने सुबह 8 बजे ही कार्रवाई शुरू कर दी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।

जैन समुदाय ने मांग की है कि मंदिर के मलबे को हटाकर वहां अस्थायी रूप से देवताओं को रखने के लिए शेड बनाया जाए। समुदाय का कहना है कि ये कार्रवाई न केवल उनकी आस्था पर चोट है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान पर भी हमला है।

वैसे आप इस घटना के बारे में क्या सोचते हैं? अपनी राय नीचे कमेंट में साझा करें।

ये भी पढ़ें: Mumbai Jain Temple: मुंबई में जैन मंदिर पर चला BMC का बुल्डोजर, तो भड़का जैन समाज का गुस्सा

You may also like