Prakash Bhende Passes Away: महाराष्ट्र का मराठी सिनेमा आज एक गहरे शोक में डूबा है। प्रकाश भेंडे (Prakash Bhende), जिन्होंने अभिनय, निर्माण, लेखन, और चित्रकला के क्षेत्र में अपनी अनूठी छाप छोड़ी, अब हमारे बीच नहीं रहे। 83 वर्ष की आयु में, 29 अप्रैल 2025 को उनका निधन हो गया। दादर के शिवाजी पार्क श्मशान घाट पर उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जाएगा। प्रकाश भेंडे की जिंदगी और उनके योगदान की कहानी न केवल मराठी सिनेमा के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है, जो कला और मेहनत में विश्वास रखता है। आइए, इस बहुमुखी प्रतिभा के सफर को करीब से जानें।
एक साधारण शुरुआत
प्रकाश भेंडे का जन्म रायगढ़ जिले के मुरुद-जंजीरा में हुआ था। उनके पिता एक डॉक्टर थे, और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक थी। लेकिन जब प्रकाश अभी युवा थे, तब उनके पिता की अचानक मृत्यु हो गई। इस घटना ने उनके कंधों पर परिवार की पूरी जिम्मेदारी डाल दी। मुंबई के गिरगांव में उनका बचपन बीता, जो उस समय सांस्कृतिक और रचनात्मक गतिविधियों का केंद्र था। इस माहौल ने उनकी कला के प्रति रुचि को और बढ़ाया।
पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए प्रकाश ने टेक्सटाइल डिजाइनर के रूप में करियर शुरू किया। उन्होंने कई नामी कंपनियों के लिए काम किया और इस क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी रचनात्मकता और मेहनत ने उन्हें जल्द ही एक कुशल डिजाइनर के रूप में स्थापित कर दिया। लेकिन उनका मन कला और सिनेमा की दुनिया में रमता था, और यहीं से उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया।
मराठी सिनेमा में कदम
प्रकाश भेंडे ने मराठी सिनेमा में अपेक्षाकृत देर से प्रवेश किया, लेकिन जब वे आए, तो उन्होंने अपनी प्रतिभा से सबका दिल जीत लिया। उनकी पहली बड़ी सफलता थी फिल्म भालू (Bhalu), जिसने न केवल व्यावसायिक रूप से सफलता हासिल की, बल्कि मराठी सिनेमा में उनकी पहचान को मजबूत किया। इस फिल्म में प्रकाश और उनकी पत्नी उमा भेंडे ने नायक-नायिका की भूमिका निभाई। दर्शकों को उनका सहज अभिनय और कहानी से जुड़ाव इतना पसंद आया कि यह फिल्म आज भी मराठी सिनेमा के प्रशंसकों के दिलों में बसी है।
भालू (Bhalu) की सफलता ने प्रकाश को मराठी सिनेमा में एक नया आत्मविश्वास दिया। उन्होंने इसके बाद कई फिल्मों का निर्माण और अभिनय किया। उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं ‘चटकचंदानी’, ‘आपुन आनन पहिलंत का’, ‘प्रेम नाथ वट्टेल ते’, और ‘ऐ थोर तुझे उपकार’। इन फिल्मों में उनकी बहुमुखी प्रतिभा साफ झलकती है। वे न केवल एक अभिनेता थे, बल्कि एक लेखक और निर्माता के रूप में भी सक्रिय रहे।
निर्माता के रूप में योगदान
प्रकाश भेंडे ने अपने बैनर ‘श्री प्रसाद चित्रा’ के तहत कई फिल्में बनाईं। इस बैनर ने न केवल गुणवत्तापूर्ण फिल्में दीं, बल्कि नए कलाकारों को भी मौका दिया। कंचन अधिकारी, हेमांगी राव, और रेशम टिपनिस जैसे कलाकारों को प्रकाश ने अपनी फिल्मों में अवसर प्रदान किया, जिससे मराठी सिनेमा को नई प्रतिभाएं मिलीं।
उनका प्रोडक्शन हाउस सिर्फ फिल्म बनाने तक सीमित नहीं था। प्रकाश ने ‘पंचरत्न एनजीलम डिस्ट्रीब्यूशन’ नाम से एक वितरण कंपनी भी स्थापित की, जिसके जरिए उनकी फिल्में दर्शकों तक पहुंचीं। फिल्म निर्माण के हर पहलू—अभिनय, लेखन, निर्माण, और वितरण—में उनकी गहरी रुचि थी। यह उनके समर्पण और जुनून को दर्शाता है।
चित्रकला में अनोखी पहचान
प्रकाश भेंडे सिर्फ सिनेमा तक सीमित नहीं थे। वे एक उत्कृष्ट चित्रकार भी थे। उनकी पेंटिंग्स अपनी अनूठी ‘फेश रॉक’ शैली के लिए जानी जाती थीं। मुंबई की कई कला दीर्घाओं में उनकी पेंटिंग्स की प्रदर्शनियां आयोजित हुईं, जिन्हें दर्शकों और कला प्रेमियों ने खूब सराहा। उनकी चित्रकला में वही संवेदनशीलता और रचनात्मकता झलकती थी, जो उनके अभिनय और फिल्म निर्माण में दिखाई देती थी।
गिरगांव का सांस्कृतिक माहौल उनकी कला को निखारने में महत्वपूर्ण रहा। वे हमेशा कहते थे कि कला उनके लिए एक अभिव्यक्ति का माध्यम है, चाहे वह कैनवास पर हो या सिल्वर स्क्रीन पर। उनकी पेंटिंग्स में जीवन, प्रकृति, और मानवीय भावनाओं का सुंदर चित्रण होता था, जो दर्शकों को गहरे तक छूता था।
मराठी सिनेमा में भावनात्मक गहराई
प्रकाश भेंडे की फिल्में उनकी कहानी कहने की कला का बेहतरीन उदाहरण हैं। ‘चिमुकला पाहुणा’ और ‘अनोळखी’ जैसी फिल्मों में उन्होंने ऐसी भूमिकाएं निभाईं, जो दो आत्माओं के बीच के बंधन को दर्शाती थीं। इन फिल्मों में उनका अभिनय इतना स्वाभाविक था कि दर्शक उनके किरदारों से तुरंत जुड़ जाते थे। उनकी फिल्में न केवल मनोरंजन करती थीं, बल्कि सामाजिक संदेश भी देती थीं।
‘भालू’ में उनके द्वारा निभाया गया किरदार आज भी मराठी सिनेमा के प्रशंसकों के लिए एक यादगार अनुभव है। इस फिल्म की सफलता ने मराठी सिनेमा को व्यावसायिक और कलात्मक दोनों दृष्टिकोण से नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। प्रकाश और उनकी पत्नी उमा की जोड़ी ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई।
एक प्रेरणादायक जीवन
प्रकाश भेंडे की जिंदगी चुनौतियों और उपलब्धियों से भरी रही। पिता की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी उठाने से लेकर मराठी सिनेमा में अपनी जगह बनाने तक, उन्होंने हर कदम पर मेहनत और लगन का परिचय दिया। टेक्सटाइल डिजाइनर से लेकर अभिनेता, निर्माता, और चित्रकार बनने तक का उनका सफर हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करना चाहता है।
उनके निधन से मराठी सिनेमा ने एक अनमोल रत्न खो दिया है। लेकिन उनकी फिल्में, उनकी पेंटिंग्स, और उनकी बनाई विरासत हमेशा जीवित रहेगी। दादर के शिवाजी पार्क में उनका अंतिम संस्कार होगा, लेकिन उनकी कला और योगदान हमेशा मराठी सिनेमा के इतिहास में चमकते रहेंगे।
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