NeML Portal: महाराष्ट्र, जो भारत का एक प्रमुख कृषि राज्य है, अब अपने किसानों के लिए एक नई और पारदर्शी व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने हाल ही में विदर्भ के किसानों की समस्याओं को सुनकर एक बड़ा फैसला लिया है। किसानों का पंजीयन (Farmers’ Registration) अब केवल NeML पोर्टल (NeML Portal) पर होगा। इसके साथ ही, धान खरीदी, भंडारण, और परिवहन की प्रक्रिया में सुधार के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। यह पहल न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाएगी, बल्कि सरकारी प्रक्रियाओं को और पारदर्शी बनाएगी। आइए, इस महत्वपूर्ण बदलाव की कहानी को करीब से समझें।
विदर्भ में धान खरीदी की चुनौतियां
विदर्भ, महाराष्ट्र का एक ऐसा क्षेत्र है, जहां धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। गोंदिया, गढ़चिरौली, चंद्रपुर, और भंडारा जैसे जिले धान उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। लेकिन लंबे समय से, धान खरीदी और भंडारण की प्रक्रिया में कई खामियां रही हैं। इन खामियों के कारण न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान हुआ है, बल्कि सरकार को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। खुले में रखा धान बारिश या अन्य कारणों से खराब हो जाता है, और परिवहन की कमी के कारण इसे समय पर गोदामों तक नहीं पहुंचाया जा सका।
इन समस्याओं को हल करने के लिए उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मुंबई के मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई। इस बैठक में धान खरीदी से जुड़े हर पहलू की गहन समीक्षा की गई। अजित पवार ने साफ कहा कि अब इन समस्याओं को और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग और आदिवासी विकास विभाग को आपस में समन्वय स्थापित कर तुरंत कदम उठाने के निर्देश दिए।
NeML पोर्टल: पारदर्शिता की नई उम्मीद
धान खरीदी की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए NeML पोर्टल (NeML Portal) को अनिवार्य किया गया है। NeML, यानी नेशनल ई-मार्केट लिमिटेड, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री को आसान और पारदर्शी बनाता है। इस पोर्टल पर किसानों का पंजीयन (Farmers’ Registration) करने से हर किसान का रिकॉर्ड डिजिटल रूप में उपलब्ध होगा। इससे न केवल धान खरीदी की प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि बिचौलियों और भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी कम होगी।
पहले, धान खरीदी के लिए पंजीयन की प्रक्रिया जटिल थी और कई बार पुराने आदेशों के कारण किसानों को परेशानी होती थी। अजित पवार ने इस समस्या को समझा और सभी पुराने, असंगत आदेशों को तुरंत रद्द करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि नए और स्पष्ट आदेश जारी किए जाएं, ताकि किसानों को कोई दिक्कत न हो। यह कदम किसानों के लिए एक बड़ी राहत है, खासकर उन आदिवासी किसानों के लिए, जो विदर्भ के दूरदराज इलाकों में रहते हैं।
आदिवासी किसानों के लिए खास सुविधा
विदर्भ में बड़ी संख्या में आदिवासी किसान हैं, जो धान की खेती पर निर्भर हैं। इन किसानों को अक्सर अपनी उपज बेचने के लिए बिचौलियों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे उन्हें उचित दाम नहीं मिलता। अजित पवार ने इस समस्या को गंभीरता से लिया और आदिवासी किसानों को विशेष सुविधा देने का फैसला किया। अब ये किसान अपना धान सीधे महाराष्ट्र राज्य सहकारी आदिवासी विकास निगम (TDC) या व्यापारियों को बेच सकेंगे।
यह विकल्प आदिवासी किसानों को अपनी उपज के लिए बेहतर कीमत दिलाने में मदद करेगा। इसके अलावा, सरकार ने यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि धान खरीदी की प्रक्रिया में कोई भेदभाव न हो। सभी किसानों को समान अवसर मिलना चाहिए, चाहे वे किसी भी समुदाय से हों।
भंडारण और परिवहन की समस्या का समाधान
धान खरीदी के बाद सबसे बड़ी समस्या इसका भंडारण और परिवहन है। विदर्भ के कई इलाकों में गोदामों की कमी के कारण धान खुले में रखा जाता है। बारिश या अन्य प्राकृतिक कारणों से यह धान खराब हो जाता है, जिससे किसानों और सरकार दोनों को नुकसान होता है। अजित पवार ने इस समस्या को जड़ से खत्म करने का संकल्प लिया।
उन्होंने निर्देश दिए कि धान का स्टॉक प्राथमिक समितियों के पास 30 दिनों से ज्यादा न रहे। इसके लिए ठोस नियम बनाए जाएं और उन्हें तुरंत लागू किया जाए। साथ ही, उन्होंने पूरे राज्य में जिला कनेक्टिविटी को जल्द से जल्द पूरा करने का आदेश दिया। इससे धान को समय पर गोदामों तक पहुंचाया जा सकेगा और नुकसान कम होगा।
किसानों की मुश्किलें कम करने का प्रयास
यह नई व्यवस्था किसानों के लिए एक बड़ा वरदान साबित होगी। पहले, जटिल पंजीयन प्रक्रिया और पुराने नियमों के कारण किसानों को अपने धान को बेचने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। अब NeML पोर्टल (NeML Portal) के जरिए पंजीयन आसान और तेज होगा। किसान अपने स्मार्टफोन या स्थानीय केंद्रों के माध्यम से पंजीयन कर सकेंगे। इससे उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिलेगा और बिचौलियों का प्रभाव कम होगा।
उदाहरण के लिए, गोंदिया का एक किसान, जो पहले अपने धान को स्थानीय व्यापारी को कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर था, अब TDC या अन्य व्यापारियों को सीधे बेच सकता है। इससे उसे न केवल बेहतर कीमत मिलेगी, बल्कि उसका धान समय पर गोदाम तक भी पहुंचेगा।
अजित पवार के इन निर्देशों ने महाराष्ट्र के कृषि क्षेत्र में एक नया युग शुरू किया है। किसानों का पंजीयन (Farmers’ Registration) और धान खरीदी की प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाने से न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि सरकार को भी आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकेगा। पुराने आदेशों को रद्द करना और नए नियम लागू करना एक साहसिक कदम है, जो प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
यह पहल विदर्भ के किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। भंडारण और परिवहन की समस्याओं को हल करने से धान की बर्बादी रुकेगी, और किसानों को उनकी मेहनत का पूरा फल मिलेगा। यह व्यवस्था न केवल महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकती है।
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