Hitler Blood-Powered Tank: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर की क्रूरता की कोई सीमा नहीं थी। उसने एक ऐसा टैंक बनाने का सपना देखा, जो इंसानों के खून से चले। इस टैंक का नाम था लैंडक्रूजर पी 1000 राटे। यह 1000 टन का भारी-भरकम टैंक था, जिसे 1942 में क्रुप कंपनी के निदेशक एडवर्ड ग्रोटे ने डिजाइन किया था। हिटलर को यह आइडिया इतना पसंद आया कि उसने तुरंत इसे मंजूरी दे दी।
इस टैंक की लंबाई 35 मीटर, चौड़ाई 14 मीटर और ऊंचाई 11 मीटर थी। इसमें 280 मिमी की नौसैनिक बंदूकें, 128 मिमी की तोपें, 15 मिमी की दो MG 151/15 तोपें और 20 मिमी की Oerlikon तोपें लगी थीं। इसका इंजन 8 डेमलर-बेंज MB 501 डीजल समुद्री इंजन था, और इसमें 20-40 लोग सवार हो सकते थे। लेकिन हिटलर की योजना थी कि यह टैंक कैदियों और यहूदियों के खून से चलने वाले हाइड्रोलिक सिस्टम पर काम करे।
23 जून 1942 को जर्मन आयुध मंत्रालय ने इस टैंक का प्रस्ताव रखा, और हिटलर ने इसे हरी झंडी दिखाई। लेकिन यह टैंक कभी बनकर तैयार नहीं हुआ। 1943 में जर्मनी के आयुध मंत्री अल्बर्ट स्पीयर ने इस प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया। वजह थी इसकी भारी-भरकम बनावट और अव्यवहारिक डिजाइन। यह टैंक इतना बड़ा और जटिल था कि इसे युद्ध में इस्तेमाल करना नामुमकिन था। हिटलर का यह खतरनाक और क्रूर सपना अधूरा रह गया, और दुनिया इस खौफनाक हथियार से बच गई।
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