Ajay Grewal Motivational Story: अजय ग्रेवाल, दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल, न केवल अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाते हैं, बल्कि हरियाणा के बहादुरगढ़ में अपनी छत पर रात को जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त कोचिंग देकर समाज में एक मिसाल कायम कर रहे हैं। दिन में हवलदार और रात में शिक्षक, अजय का समर्पण एक प्रेरणा बन गया है।
दिन में हवलदार, रात में शिक्षक: अजय ग्रेवाल की प्रेरक कहानी
दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल अजय ग्रेवाल (Delhi Police Head Constable) किसी भी आम पुलिसकर्मी से अलग हैं। उनका जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है, जो समाज में एक गहरी छाप छोड़ रही है। बहादुरगढ़ के निवासी अजय दिनभर अपनी पुलिस की नौकरी करते हैं, जबकि रात में वे अपने घर की छत पर गरीब बच्चों को मुफ्त कोचिंग (Free Coaching) देते हैं। यह छत उनकी छत वाली पाठशाला के नाम से प्रसिद्ध हो चुकी है। अजय के इस समर्पण ने उन्हें एक रियल लाइफ हीरो बना दिया है।
अजय का मानना है कि हर किसी के पास दिन के 24 घंटे होते हैं, परंतु उसे मैनेज करने का तरीका सबका अलग होता है। अजय सिर्फ 5 घंटे सोते हैं, और बाकी का समय पुलिस की ड्यूटी और बच्चों की पढ़ाई में बिताते हैं।
छत वाली पाठशाला: अजय की अनोखी कोचिंग
अजय ग्रेवाल ने 2016 में ‘विद्यान महादान कोचिंग सेंटर’ की शुरुआत की थी, जिसे छत वाली पाठशाला के नाम से जाना जाता है। इस पाठशाला का हर इंच गद्दों से ढका रहता है, जहां एक बैच में करीब 100 बच्चे पढ़ते हैं। अजय रातभर बच्चों को सरकारी नौकरी परीक्षाओं (Government Job Exam Preparation) की तैयारी कराते हैं।
इस पाठशाला की सबसे अनोखी बात यह है कि यहां पढ़ाई सुबह 3 बजे तक चलती है। अजय गणित, सामान्य ज्ञान, रीजनिंग, और अंग्रेजी जैसे विषयों को अपने छात्रों को सिखाते हैं, और उनके पढ़ाए हुए 3,000 से ज्यादा छात्रों ने सरकारी नौकरी (Government Job) हासिल कर ली है। इस अद्वितीय पहल ने अजय को हरियाणा और दिल्ली में एक सम्मानित नाम बना दिया है।
फेल होने के बाद भी नहीं मानी हार
अजय ने खुद भी यूपीएससी (UPSC) की तैयारी की थी। दो बार इंटरव्यू राउंड तक पहुंचने के बावजूद वे सफल नहीं हो सके। लेकिन उन्होंने अपनी असफलता को अपने जीवन का अंत नहीं माना। इसके बजाय, उन्होंने दिल्ली पुलिस कांस्टेबल की परीक्षा पास की और सरकारी नौकरी शुरू की। अजय का कहना है कि हर असफलता से सीखना और आगे बढ़ना जरूरी है। उन्होंने अपने ज्ञान को खुद तक सीमित रखने के बजाय दूसरों को बांटने का फैसला किया।
अजय की इस कोचिंग में पढ़ने वाले बच्चों को फीस नहीं देनी होती, और वे जरूरतमंद बच्चों की मदद करने में हमेशा तत्पर रहते हैं। उनका सपना है कि वे जितने अधिक से अधिक बच्चों को सरकारी नौकरी दिला सकें।
यूट्यूब पर भी मास्टर साहब
अजय सिर्फ ऑफलाइन कोचिंग ही नहीं देते, बल्कि उन्होंने अपने छात्रों की मदद के लिए यूट्यूब चैनल ‘विद्यान महादान’ भी शुरू किया है। यहां वे अपने छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाते हैं। उनकी पढ़ाई का पहला बैच शाम 6 बजे शुरू होता है और आखिरी बैच रात 3 बजे खत्म होता है। खासकर लड़कियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, अजय रात 10:30 बजे तक ही उन्हें पढ़ाते हैं।
पिता की विरासत
अजय के पिता भी दिल्ली पुलिस में थे और उनकी इस समाजसेवा के पीछे उनके पिता का योगदान भी कम नहीं है। अजय बचपन में कुश्ती में रुचि रखते थे और उनके पिता ने उनके घर के पास एक अखाड़ा भी बनवाया था। यह अखाड़ा अजय के शारीरिक विकास और दिल्ली पुलिस की शारीरिक परीक्षा में सफल होने में मददगार साबित हुआ।
अजय के इस समाजसेवा के कार्य को देखकर हर कोई उनके काम की सराहना करता है। उनके जीवन की यह कहानी बताती है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर इंसान अपने सपनों के लिए मेहनत करे और दूसरों की मदद करे, तो उसे समाज में एक नई पहचान मिलती है।
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