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बूथ वाइज डेटा विवाद: चुनावी चक्रव्यूह में फंसा चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ‘ना’?

बूथ वाइज डेटा विवाद: चुनावी चक्रव्यूह में फंसा चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ‘ना’?

सुप्रीम कोर्ट ने बूथ वाइज डेटा अपलोड करने के निर्देश पर अपनी राय व्यक्त की है। अदालत ने कहा है कि पांच चरणों की वोटिंग पहले ही संपन्न हो चुकी है, और इस स्थिति में चुनाव आयोग के लिए अतिरिक्त मैनपावर जुटाना कठिन होगा।

 यह मामला तब सामने आया जब एक जनहित याचिका में मांग की गई कि चुनाव आयोग को मतदान खत्म होने के 48 घंटे के भीतर अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17C की कॉपी अपलोड करनी चाहिए। इस याचिका में चुनाव आयोग पर आरोप लगाया गया कि फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है, जो कि गलत है। चुनाव आयोग ने इस याचिका का विरोध किया और कहा कि यह कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग का क्लासिक केस है।

 सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने के टाइमिंग पर सवाल उठाया और याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाने की बात कही। अदालत ने यह भी कहा कि वे इस चरण में अंतरिम राहत देने के इच्छुक नहीं हैं और याचिका को लंबित रखा, यह कहते हुए कि उचित बेंच सुनवाई करेगी।

 इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और उसकी सीमाओं को समझने में महत्वपूर्ण है। यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि अदालत चुनावी प्रक्रिया के दौरान चुनाव आयोग की स्वायत्तता और उसके कार्यों की जटिलता को समझती है।

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