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Classical Language Status: मराठी समेत पांच भाषाओं को मिला शास्त्रीय भाषा का दर्जा, जानिए क्या है इसका महत्व

Classical Language Status: मराठी समेत पांच भाषाओं को मिला शास्त्रीय भाषा का दर्जा, जानिए क्या है इसका महत्व
Classical Language Status: भारत की सांस्कृतिक धरोहर से समृद्ध भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने का कार्य वर्षों से जारी है। शास्त्रीय भाषाएं (Classical Languages) वे भाषाएं हैं जो भारतीय समाज को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान देती हैं।

केंद्र सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए, मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया, और बंगाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। यह निर्णय, महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के ठीक पहले लिया गया है, जिससे सरकार ने मराठी भाषी समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के प्रमुख नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है।

शास्त्रीय भाषाओं (Classical Languages) की ऐतिहासिक पहचान

शास्त्रीय भाषाएं (Classical Languages) भारत की प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनके द्वारा न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान सुरक्षित रहती है, बल्कि विभिन्न भाषाई समुदायों को एक ऐतिहासिक स्वरूप भी मिलता है। सरकार ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया, और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा (Classical Language Status) देकर यह सुनिश्चित किया है कि इन भाषाओं को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान मिले।

प्रधानमंत्री मोदी का बधाई संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त की और मराठी, असमिया, प्राकृत, पाली, और बंगाली भाषी लोगों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि इन भाषाओं ने भारतीय साहित्य, संस्कृति, और इतिहास को गहरे रूप से प्रभावित किया है। खासकर, मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा (Classical Language Status) मिलने से महाराष्ट्र में एक नए युग का आगाज़ होगा। उन्होंने कहा कि मराठी भाषा ने भारतीय इतिहास और समाज में अद्वितीय योगदान दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक संदेश में कहा, “मराठी भाषा भारत का गौरव है। यह हमेशा भारतीय विरासत की आधारशिला रही है। इस अद्वितीय भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा (Classical Language Status) दिए जाने पर गर्व महसूस हो रहा है।”

महाराष्ट्र के नेताओं की प्रतिक्रिया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और अजीत पवार ने इस फैसले का स्वागत किया और प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद किया। फड़णवीस ने कहा कि यह महाराष्ट्र के 12 करोड़ लोगों के लिए एक स्वर्णिम दिन है। उनके अनुसार, जब वे मुख्यमंत्री थे, तब उनके नेतृत्व में मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के समक्ष रखा गया था।

अजीत पवार ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि दशकों से मराठी को शास्त्रीय भाषा (Classical Language) का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष किया जा रहा था। अब, इस फैसले से मराठी भाषी समाज को गर्व महसूस हो रहा है।

शास्त्रीय भाषाओं (Classical Languages) से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

शास्त्रीय भाषाओं (Classical Languages) को मान्यता मिलने से शैक्षणिक और शोध क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। सरकार का मानना है कि इन भाषाओं के प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण और डिजिटलीकरण से कई रोजगार अवसर पैदा होंगे। इसके साथ ही, संग्रह, अनुवाद, और प्रकाशन कार्यों में भी संभावनाएं बढ़ेंगी। इसके अलावा, शास्त्रीय भाषाओं (Classical Languages) के अध्ययन के लिए देशभर में शोध एवं शैक्षणिक संस्थानों में इन भाषाओं पर विशेष पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे।

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