तीन साल पहले, मई 2021 में भारत में कोरोना का भयंकर रूप देखने को मिला था। लेकिन अब वैसा कुछ नहीं है। अखबारों में रोज़ाना लाखों केसों और मौतों की खबरें नहीं आ रही। क्या महामारी सच में खत्म हो गई?
मई 2021 में भारत में रोज़ाना औसतन 3 लाख से ज़्यादा कोरोना केस आ रहे थे। मौतों का आंकड़ा भी बहुत डरावना था।
जनवरी-फरवरी 2022 में ओमिक्रॉन वैरिएंट से केस बहुत बढ़े, पर गंभीर बीमारी उतनी नहीं हुई।
मार्च 2022 के बाद भारत में कोरोना पाबंदियां लगभग खत्म हो गईं।
तो क्या कोरोना खत्म हो गया?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2023 में कहा कि कोरोना से अब वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल नहीं है।
इसका मतलब ये हुआ कि वायरस का अनियंत्रित फैलाव खत्म हो गया है और इससे उतने गंभीर केस या मौतें नहीं हो रही हैं।
लेकिन SARS-CoV-2 वायरस अभी भी है और लोगों को बीमार कर रहा है। बस, अब इसका जो रूप है (JN.1), वो उतना खतरनाक नहीं।
लोग ज़्यादा बीमार क्यों नहीं पड़ रहे?
बहुत कम टेस्ट हो रहे हैं, इसलिए केस कम दिख रहे हैं।
ओमिक्रॉन ने लोगों को कुछ प्राकृतिक सुरक्षा (इम्युनिटी) दी थी। वैक्सीन से भी सुरक्षा मिली।
अब लोग हल्के-फुल्के संक्रमण से बीमार होकर अपनी इम्युनिटी बढ़ा रहे हैं, इसलिए गंभीर बीमारी नहीं हो रही।
न तो वैक्सीन, न प्राकृतिक इम्युनिटी हमेशा रहती है। ये समय के साथ कम होने लगती है।
अच्छी बात ये है कि वायरस भी खतरनाक रूप (वैरिएंट) में नहीं बदल रहा। पर इसकी निगरानी ज़रूरी है।
हो सकता है लोग संक्रमित हो रहे हों, पर बीमार नहीं पड़ रहे हों। इससे उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ रही है।
भारत में अब रोज़ाना कुछ दसियों में कोविड केस आते हैं। गुरुवार को 50 केस मिले।
कुछ लैब्स अभी भी वायरस के अलग-अलग रूपों पर नज़र रख रही हैं।