महाराष्ट्र

Electoral Muslim Representation: BJP ही नहीं कांग्रेस ने भी बनाई मुस्लिमों से दूरी? महाराष्ट्र चुनाव में ये कैसा ट्रेंड

Electoral Muslim Representation: BJP ही नहीं कांग्रेस ने भी बनाई मुस्लिमों से दूरी? महाराष्ट्र चुनाव में ये कैसा ट्रेंड
चुनावी मुस्लिम प्रतिनिधित्व (Electoral Muslim Representation) में एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है, जहां महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में राजनीतिक दलों द्वारा मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने में उल्लेखनीय कमी आई है. यह आंकड़े राज्य की राजनीति में एक नई प्रवृत्ति की ओर इशारा करते हैं.

महाराष्ट्र की बदलती राजनीतिक तस्वीर

महाराष्ट्र में चुनावी मुस्लिम प्रतिनिधित्व (Electoral Muslim Representation) की स्थिति चिंताजनक दिख रही है. राज्य की कुल 288 विधानसभा सीटों में से 150 से अधिक सीटों पर एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है. यह स्थिति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य में मुस्लिम आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. कुल 4,136 उम्मीदवारों में से केवल 420 मुस्लिम प्रत्याशी हैं, जो कि कुल उम्मीदवारों का मात्र 10 प्रतिशत से भी कम है.

दलों की रणनीति और मुस्लिम प्रतिनिधित्व

राजनीतिक दलों की रणनीति में एक स्पष्ट बदलाव देखा जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी ने इस बार एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है, जबकि कांग्रेस ने केवल 9 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. यह स्थिति महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की बदलती रणनीति (Changing Political Strategy in Maharashtra Assembly Elections) को दर्शाती है. शिवसेना के दोनों गुटों और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दोनों धड़ों ने भी मुस्लिम उम्मीदवारों को सीमित संख्या में ही टिकट दिया है.

जमीनी हकीकत और चुनावी गणित

लगभग 50 विधानसभा क्षेत्रों में केवल एक-एक मुस्लिम उम्मीदवार हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति केवल धार्मिक पहचान से नहीं जुड़ी है, बल्कि इसमें जीत का गणित भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. शिवसेना (शिंदे गुट) के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, टिकट का वितरण जीत की संभावना के आधार पर किया जाता है, न कि धार्मिक पहचान के आधार पर.

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या में लगभग 25 प्रतिशत की कमी आई है. 20 नवंबर को होने वाले मतदान में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नया राजनीतिक समीकरण किस तरह से चुनावी नतीजों को प्रभावित करता है.

राज्य के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम मतदाताओं की महत्वपूर्ण उपस्थिति है. औरंगाबाद, भिवंडी, मालेगांव, मुंबई की कई सीटों और नांदेड़ जैसे क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव परिणामों को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकता है. इस बार के चुनाव में महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच सीधी टक्कर है, जिसमें वोटों का बंटवारा और मतदाताओं का रुझान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

इस चुनावी मौसम में मुस्लिम प्रत्याशियों की कम संख्या ने कई सवाल खड़े किए हैं. राजनीतिक दलों का तर्क है कि उनकी प्राथमिकता जीतने वाले उम्मीदवारों को टिकट देना है, लेकिन साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सभी वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व हो. 23 नवंबर को होने वाली मतगणना के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि इस नई राजनीतिक रणनीति का क्या प्रभाव पड़ता है.

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