महाराष्ट्र

नासिक से हेमंत गोडसे की शिंदे गुट के साथ राजनीतिक हैट्रिक की ओर नजर

नासिक से हेमंत गोडसे की शिंदे गुट के साथ राजनीतिक हैट्रिक की ओर नजर

नासिक लोकसभा क्षेत्र से हेमंत गोडसे शिवसेना के बैनर तले 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में विजयी रहे थे। लेकिन जून 2022 में शिवसेना के भीतर मतभेद के बाद, गोडसे ने शिंदे गुट का समर्थन कर लिया और शिवसेना छोड़ दी। उन्होंने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिंदे गुट के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की।  

हेमंत गोडसे की राजनीतिक पारी काफी उतार-चढ़ाव भरी रही है। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के टिकट पर नासिक से लड़ा था, लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के समीर भुजबल से 24,000 वोटों से हार गए थे। बाद में, उन्होंने शिवसेना का दामन थामा और 2014 में नासिक से लोकसभा चुनाव जीता। उस समय उन्होंने NCP के मजबूत उम्मीदवार और महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल को 1,87,336 वोटों से हराया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी गोडसे ने शानदार जीत दर्ज की और समीर भुजबल को 3 लाख वोटों से पीछे छोड़ दिया।

अब एक बार फिर शिंदे गुट के तहत चुनाव लड़ने का मौका मिला है। गोडसे महाराष्ट्र में मजबूत राजनीतिक स्थिति बनाने के लिए हैट्रिक जीत की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, उनके सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। नासिक लोकसभा क्षेत्र महाराष्ट्र महायुति गठबंधन के भीतर लंबे समय से एक युद्ध क्षेत्र रहा है। इस बार गोडसे का मुकाबला शिवसेना यूबीटी के राजाभाऊ वाजे से होगा।  

नासिक लोकसभा क्षेत्र से मतदान पांचवें चरण में होगा और चुनाव परिणाम 4 जून को आएंगे। देखना दिलचस्प होगा कि क्या गोडसे एक बार फिर अपनी जीत का रिकॉर्ड कायम रख पाते हैं या शिवसेना यूबीटी उन पर भारी पड़ती है। यह चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति में एक क्रांतिकारी मोड़ ला सकता है।

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