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पूर्वजों ने छोड़ी संपत्ति, तो भरना होगा मोटा टैक्स! जानिए क्या है माजरा

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हाल ही में कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने एक बयान दिया कि भारत में भी विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स लगाने के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने अमेरिका का उदाहरण दिया जहां मृतक की संपत्ति का बड़ा हिस्सा सरकार टैक्स के रूप में ले लेती है। पित्रोदा के बयान के बाद से इस बात पर खूब चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं कि आखिर ये ‘इनहेरिटेंस टैक्स’ होता क्या है और क्या सच में भारत जैसे देश में इसे लागू किया जा सकता है।

‘इनहेरिटेंस टैक्स’ को कई लोग ‘डेथ टैक्स’ भी कहते हैं। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी संपत्ति बच्चों या परिवार के सदस्यों को मिलती है। इसी पर कुछ देशों में टैक्स लगाया जाता है। भारत में अभी तक ऐसा कोई टैक्स नहीं है।

इस टैक्स के फायदे-नुकसान

कई लोगों का मानना है कि भारत में बहुत ज्यादा आर्थिक असमानता है और ये टैक्स अमीरों से पैसा लेकर सरकार तक पहुंचाएगा, जिससे गरीबी हटाने में मदद मिलेगी। लेकिन, जानकार इस बात से सहमत नहीं हैं।

जानकारों का क्या कहना है?

अमीर बच जाएंगे, मध्यम वर्ग फंसेगा: अमीर लोग वकीलों और कानून की बारीकियों का इस्तेमाल करके इस टैक्स को बचाने में कामयाब हो जाएंगे। दूसरी तरफ, मध्यम वर्ग जिसके पास अक्सर घर-ज़मीन के अलावा ज़्यादा कुछ नहीं होता, उसे टैक्स भरने के लिए अपनी संपत्ति बेचनी होगी।

निवेश पर बुरा असर: लोग ये सोचकर बचत या निवेश करना बंद कर देंगे कि उनकी मौत के बाद सरकार उनकी संपत्ति का बड़ा हिस्सा वैसे ही ले लेगी। इससे देश में पूंजी कम होगी और विकास की रफ्तार भी धीमी हो जाएगी।

टैक्स सिस्टम और मुश्किल होगा: भारत में पहले से ही टैक्स भरने की प्रक्रिया आसान नहीं है। ‘इनहेरिटेंस टैक्स’ पूरे सिस्टम को और पेचीदा बना देगा। खासकर विधवाओं या विदेश में रहने वाले भारतीयों के लिए इसे समझना और टैक्स भरना बहुत मुश्किल होगा।

जानकारों का मानना है कि भारत में इस तरह के टैक्स की जगह लोगों के जीवन को आसान बनाने के तरीकों पर सोचना चाहिए ताकि मध्यम वर्ग को सहारा मिले और वो तरक्की कर सके। सरकार का भी यही कहना है कि देश तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और इसमें मध्यम वर्ग की अहम भूमिका है। ऐसे में उन पर एक और टैक्स का बोझ डालना अर्थव्यवस्था के लिए सही नहीं होगा।

सैम पित्रोदा की मंशा भले ही अच्छी रही हो, लेकिन ‘इनहेरिटेंस टैक्स’ भारत जैसे देश के लिए व्यावहारिक नहीं लगता है। इससे अमीरों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा लेकिन मध्यम वर्ग की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।

भारत में सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था भी बहुत मजबूत नहीं है। ऐसे में कई लोग बुढ़ापे में अपने परिवार या बच्चों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति पर ही निर्भर होते हैं। ‘इनहेरिटेंस टैक्स’ इस सहारे को भी कमज़ोर कर देगा।

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