हाल ही में जम्मू में हुए आतंकी हमलों में आतंकियों ने एम-4 कार्बाइन का इस्तेमाल किया है। यह हथियार अमेरिका में बना हुआ है और नाटो के सैनिकों द्वारा उपयोग किया जाता है। 2021 में, जब अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से वापस लौटे, तो वे अपने पीछे बड़ी संख्या में हथियार छोड़ गए थे। अब ये हथियार आतंकियों के पास पहुंच रहे हैं।
एम-4 कार्बाइन एक शक्तिशाली हथियार है जिसकी रेंज लगभग 600 मीटर है। यह क्लोज एनकाउंटर के लिए उपयुक्त होता है और स्टील कोर की गोलियों का इस्तेमाल करता है, जो वाहनों को आसानी से भेद सकती हैं। यह अमेरिकी हथियार 1980 के दशक में डिजाइन किया गया था और अब आतंकियों के पास इसकी पर्याप्त संख्या पहुंच चुकी है।
2021 में, तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद, अमेरिकी सैनिक वहां से वापस लौटे और अपने पीछे 3 लाख से अधिक छोटे-बड़े हथियार और 1.5 मिलियन से अधिक एम्युनेशन छोड़ गए थे। इन हथियारों में एम-4 कार्बाइन, एम-24 स्नाईपर, एम-16A4 राइफल, एम-249 मशीन गन और एम-16 A2/A4 असॉल्ट राइफल शामिल थे।
2022 के बाद, आतंकियों के एम-4 कार्बाइन का इस्तेमाल करने की घटनाएं बढ़ी हैं। सुरक्षा एजेंसियां चिंतित हैं कि आतंकियों के पास ये हथियार कैसे पहुंचे और वे इन हथियारों के इस्तेमाल में कैसे ट्रेंड हो गए। जम्मू में हुए हालिया आतंकी हमलों में इन हथियारों का इस्तेमाल साफ तौर पर दिखाता है कि आतंकियों के पास ये हथियार हैं और वे इन्हें कुशलता से उपयोग कर रहे हैं।
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सैनिकों ने अफगानिस्तान में नाइट विजन डिवाइस, सर्विलांस डिवाइस, बायोमेट्रिक उपकरण और अन्य उपकरण भी छोड़ दिए थे। अब यह उपकरण भी आतंकियों के हाथों में पहुंच गए हैं। इस कारण से सुरक्षा एजेंसियां अधिक सतर्क हो गई हैं और आतंकियों के पास पहुंचने वाले इन हथियारों और उपकरणों पर नज़र रख रही हैं।
जम्मू में हुए आतंकी हमलों में एम-4 कार्बाइन के इस्तेमाल ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। यह स्पष्ट हो गया है कि आतंकियों के पास न केवल अत्याधुनिक हथियार पहुंच गए हैं, बल्कि वे इन हथियारों का इस्तेमाल करने में भी माहिर हो गए हैं। यह स्थिति गंभीर है और सुरक्षा एजेंसियों को इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
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