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Maharashtra seat-sharing tussle: महाराष्ट्र में सीट बंटवारे की खींचतान, अमित शाह के दखल के बाद भी हल नहीं!

Maharashtra seat-sharing tussle: महाराष्ट्र में सीट बंटवारे की खींचतान, अमित शाह के दखल के बाद भी हल नहीं!
Maharashtra seat-sharing tussle: महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों बेहद दिलचस्प मोड़ पर खड़ी है। महाराष्ट्र राजनीति (Maharashtra politics) के इस नए अध्याय में सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), और एनसीपी (अजित पवार गुट) के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। भाजपा की लीडरशिप वाले महायुति गठबंधन में अभी तक किसी औपचारिक समझौते का ऐलान नहीं हुआ है, और इसी वजह से केंद्र में गृह मंत्री अमित शाह को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा है।

सीटों का बंटवारा और गठबंधन की राजनीति

महाविकास अघाड़ी के शुरुआती समझौते में तीनों दलों ने 255 सीटें आपस में बांट ली हैं। सबके हिस्से में 85-85 सीटें आई हैं। परंतु, अब भी पांच सीटों पर सहमति नहीं बन पाई है, जो महाराष्ट्र राजनीति (Maharashtra politics) में एक प्रमुख मुद्दा बन चुकी हैं।

इस स्थिति ने महाराष्ट्र की राजनीति को और जटिल बना दिया है। सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी नेता अजित पवार ने दिल्ली का दौरा कर अमित शाह के साथ इन सीटों पर मंथन किया। खासतौर पर पालघर, बोईसर, वसई और नालासोपारा सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा और शिवसेना के बीच खींचतान है। कोई भी दल पीछे हटने को तैयार नहीं है, जिससे महाराष्ट्र सीट बंटवारे की खींचतान (Maharashtra seat-sharing tussle) और बढ़ गई है।

गठबंधन के भीतर मतभेद

भाजपा और एनसीपी के बीच भी वडगांव शहरी, अश्ती, और तसगांव जैसी सीटों पर विवाद है। एनसीपी के नेता अजित पवार के दबाव में कुछ उम्मीदवारों को लेकर भी दिक्कतें बनी हुई हैं। भाजपा ने एनसीपी विधायक नवाब मलिक को टिकट देने पर विरोध जताया था, क्योंकि उनके खिलाफ ईडी के मामले चल रहे हैं। इसके चलते एनसीपी ने मलिक को टिकट न देने का फैसला किया, लेकिन उनकी बेटी सना मलिक को अणुशक्ति नगर से उम्मीदवार बना दिया गया है।

शिवसेना के भीतर भी मतभेद उभरकर सामने आए हैं। छगन भुजबल के बेटे समीर भुजबल ने शिवसेना विधायक सुहास कांडे के खिलाफ नांदगांव से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इसके चलते महाराष्ट्र सीट बंटवारे की खींचतान (Maharashtra seat-sharing tussle) और भी गहरी हो गई है। अमित शाह की यह कोशिश है कि इस खींचतान को सुलझाकर महायुति के भीतर एक सामंजस्य बनाया जा सके।

अमित शाह की मध्यस्थता

अमित शाह के हस्तक्षेप से इस विवाद को हल करने की कोशिशें जारी हैं। भाजपा की कोशिश है कि इन सीटों पर समझौता हो, ताकि गठबंधन के उम्मीदवारों को एकजुट होकर लड़ाया जा सके। अमित शाह ने महाराष्ट्र भाजपा से कहा है कि बागी उम्मीदवारों को शांत किया जाए, क्योंकि इससे गठबंधन को नुकसान हो सकता है।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस स्थिति पर अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं। उनकी नवंबर के पहले सप्ताह में महाराष्ट्र में कई रैलियां होने वाली हैं, जहां वह न केवल भाजपा, बल्कि शिवसेना और एनसीपी के उम्मीदवारों के लिए भी वोट मांगेंगे।

महाराष्ट्र की इस राजनीतिक खींचतान में आगे क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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