विपक्षी दलों की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग उत्तर प्रदेश के पिलीभीत में पीएम मोदी द्वारा ‘राम मंदिर’ पर दिए गए बयान को लेकर उन्हें क्लीनचिट देने वाला है। इस निर्णय से विपक्ष को बड़ा झटका लग सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि चुनाव रैली में राम मंदिर निर्माण का उल्लेख करना केवल सरकार की उपलब्धियों को गिनवाना था। इसे धर्म के नाम पर वोट मांगने की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
सूत्रों के हवाले से आई इस रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव आयोग जल्द ही अधिवक्ता आनंद जोनडाले द्वारा पीएम मोदी के खिलाफ दायर शिकायत को खारिज करते हुए अपना यह निर्णय घोषित करेगा। जोनडाले ने पीएम पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया था।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, चुनाव आयोग इस बात से भी सहमत है कि पीएम के भाषण से समुदायों के बीच किसी तरह की शत्रुता नहीं बढ़ी है। साथ ही केवल धर्म का जिक्र करने पर ही चुनाव आयोग को कार्रवाई करना उचित नहीं होगा, क्योंकि ऐसा करने से उम्मीदवारों की प्रचार की आजादी पर अनुचित रूप से प्रतिबंध लगेगा।
यदि चुनाव आयोग वाकई में इस निर्णय पर पहुंचता है, तो इससे विपक्ष को बड़ा झटका लगेगा। विपक्ष पिछले कुछ समय से चुनाव आयोग पर पीएम मोदी के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों पर कड़ी कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगा रहा है। लेकिन अगर चुनाव आयोग इस बार क्लीनचिट देता है, तो यह विपक्ष के लिए बड़ा झटका साबित होगा।
बता दें कि पिलीभीत की रैली में पीएम मोदी ने कांग्रेस और सपा को आड़े हाथों लिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि इन दलों ने आयोध्या मंदिर के अभिषेक समारोह से दूरी बनाए रखी थी, जो “राम का अपमान” था। यह बयान विपक्ष द्वारा जमकर आलोचना का विषय बना था।
हालांकि, अगर चुनाव आयोग वाकई में क्लीनचिट देता है, तो पीएम मोदी और भाजपा इसे अपना जनादेश मानकर खुद को बलिया महसूस करेंगे। इससे चुनाव प्रचार में उनका हौसला और बढ़ेगा। विपक्ष के लिए इस पर राजनीतिक तौर पर भारी पड़ सकता है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग आखिरकार क्या फैसला लेता है। विपक्ष भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया जरूर देगा। चुनाव से पहले यह मामला और बढ़ सकता है।