मुंबई में लोकसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं, और इस बार नोटा (NOTA) ने मतदाताओं के बीच खास जगह बना ली है। जहां एक ओर पार्टियां अपने उम्मीदवारों के प्रचार में लगी हैं, वहीं मतदाता नोटा के विकल्प को तरजीह दे रहे हैं।
नोटा, जिसका अर्थ है ‘None of the Above’, वह विकल्प है जो मतदाताओं को तब चुनने का अधिकार देता है जब उन्हें कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं आता। 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे चुनावी प्रक्रिया में शामिल किया गया था।
2019 के चुनावों में मुंबई के मतदाताओं ने नोटा को अपना समर्थन दिखाया था, और इस बार भी नोटा के प्रति उनका रुझान बढ़ता दिख रहा है। नोटा को मिलने वाले वोटों की संख्या और उसके प्रभाव पर नजर रखी जा रही है।
नोटा का बढ़ता प्रचलन यह दर्शाता है कि मतदाता अब अधिक सजग हैं और उन्हें अपने प्रतिनिधियों से विशेष अपेक्षाएं हैं। नोटा के बढ़ते वोट यह संकेत देते हैं कि जनता अब सिर्फ नामों के बजाय काम को महत्व दे रही है।
अगर नोटा को सबसे अधिक वोट मिलते हैं, तो उस निर्वाचन क्षेत्र में फिर से चुनाव कराने की स्थिति आ सकती है। यह एक ऐसा परिदृश्य है जो राजनीतिक पार्टियों को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है।