Curb Air Pollution: मुंबई, जो अपनी रोटी, पाव, और खाने की संस्कृति के लिए मशहूर है, अब एक नई चुनौती का सामना कर रहा है। शहर की हवा को साफ करने की कोशिश में बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने कोयला और लकड़ी से चलने वाली बेकरियों को हरे ईंधन (green fuels) में बदलने का आदेश दिया था। लेकिन 8 जुलाई 2025 की समय सीमा नजदीक आने के बावजूद, 356 बेकरियों में से केवल 48 ने ही इस आदेश का पालन किया है। यह स्थिति न केवल पर्यावरण के लिए चिंताजनक है, बल्कि बॉम्बे हाई कोर्ट के सख्त निर्देशों की अवमानना भी दर्शाती है। कोर्ट ने वायु प्रदूषण (air pollution) को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा था, लेकिन बेकरी मालिकों की सुस्ती ने इस लक्ष्य को मुश्किल बना दिया है।
मुंबई में बेकरियां शहर की खाद्य संस्कृति का अहम हिस्सा हैं। चाहे सुबह की चाय के साथ पाव हो या शाम को खाया जाने वाला मास्का बन, ये बेकरियां हर मुंबईकर के जीवन का हिस्सा हैं। लेकिन इनमें से कई बेकरियां कोयला और लकड़ी का इस्तेमाल करती हैं, जो हवा में खतरनाक प्रदूषक छोड़ते हैं। खासकर PM2.5 जैसे महीन कण, जो आसानी से सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंच जाते हैं, स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं। BMC के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोयला और सस्ती लकड़ी जलाने से निकलने वाला धुआं मुंबई की हवा को और जहरीला बना रहा है। इसीलिए कोर्ट ने छह महीने पहले इन बेकरियों को PNG, CNG, या बिजली जैसे हरे ईंधन (green fuels) में बदलने का समय दिया था।
लेकिन समय सीमा से 20 दिन पहले तक केवल 48 बेकरियां ही इस बदलाव को पूरा कर पाई हैं। कुछ बेकरियां अभी भी परिवर्तन की प्रक्रिया में हैं, और BMC को उम्मीद है कि 8 जुलाई तक यह संख्या बढ़ सकती है। फिर भी, ज्यादातर बेकरी मालिकों की धीमी प्रतिक्रिया ने प्रशासन को चिंता में डाल दिया है। एक बेकरी मालिक, रमेश पाटिल, ने बताया कि हरे ईंधन में बदलाव महंगा है। PNG या CNG की पाइपलाइन और नए उपकरण लगाने में लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं। छोटी बेकरियों के लिए यह आर्थिक बोझ बन रहा है। लेकिन BMC ने साफ कर दिया है कि जो बेकरियां समय सीमा तक नियमों का पालन नहीं करेंगी, उन्हें पहले कारण बताओ नोटिस और फिर बंदी का सामना करना पड़ सकता है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में पहले ही अधिकारियों को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि वायु प्रदूषण (air pollution) के स्रोतों पर रोक लगाने में ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुंबई की हवा पहले ही PM2.5 और अन्य प्रदूषकों के कारण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। 2024 में एक अध्ययन में पाया गया कि मुंबई में PM2.5 का स्तर WHO के मानकों से कई गुना ज्यादा है। बेकरियां, होटल, रेस्तरां, और तंदूर आधारित व्यवसाय इस प्रदूषण के बड़े स्रोत हैं। ये अक्सर सस्ती लकड़ी या टूटे-फूटे फर्नीचर को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जो जहरीली गैसें और कण छोड़ते हैं।
BMC ने न केवल बेकरियों, बल्कि 443 से अधिक रेस्तरां और खाने की दुकानों को भी नोटिस जारी किया है, जो कोयले से चलने वाले तंदूर का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन बॉम्बे चारकोल मर्चेंट्स एसोसिएशन ने हाई कोर्ट में राहत की मांग की है। इस संगठन का कहना है कि तंदूर से खाना बनाने की परंपरा को पूरी तरह बंद करना व्यवसायों के लिए नुकसानदायक होगा। कई बेकरी मालिकों को लगता है कि अगर तंदूर वालों को कोर्ट से राहत मिली, तो उन्हें भी कुछ छूट मिल सकती है। लेकिन BMC के अधिकारी ने साफ किया कि कोर्ट के निर्देश स्पष्ट हैं। कोयला और लकड़ी से चलने वाली सभी बेकरियों को पर्यावरण-अनुकूल ईंधन में बदलना होगा।
मुंबई की हवा को साफ करने की यह जंग आसान नहीं है। शहर में हर साल लाखों लोग सांस की बीमारियों से जूझते हैं। 2023 में एक सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीजों में से 12% सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे। एक स्थानीय डॉक्टर, अनिल मेहता, ने बताया कि PM2.5 जैसे कण बच्चों और बुजुर्गों के लिए खास तौर पर खतरनाक हैं। बेकरियों से निकलने वाला धुआं इन समस्याओं को और बढ़ा रहा है। BMC की इस पहल से न केवल हवा साफ होगी, बल्कि लोगों का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।
लेकिन बेकरी मालिकों के सामने कई चुनौतियां हैं। माहिम की एक पुरानी बेकरी चलाने वाले इकबाल खान ने बताया कि उनकी बेकरी 50 साल से कोयले पर चल रही है। हरे ईंधन में बदलाव के लिए उन्हें अपनी पूरी रसोई बदलनी होगी, जिसके लिए उनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं है। फिर भी, कुछ बेकरियां इस बदलाव को स्वीकार कर रही हैं। बांद्रा की एक बेकरी ने हाल ही में PNG में शिफ्ट किया और उसके मालिक ने बताया कि इससे न केवल प्रदूषण कम हुआ, बल्कि उनका बिजली बिल भी कम हो गया।
मुंबई जैसे शहर में, जहां हर गली-नुक्कड़ पर खाने की खुशबू आती है, बेकरियां और रेस्तरां संस्कृति का हिस्सा हैं। लेकिन पर्यावरण और स्वास्थ्य की कीमत पर इस संस्कृति को बनाए रखना मुश्किल है। BMC की यह कार्रवाई उन सैकड़ों परिवारों के लिए जरूरी है, जो हर दिन प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। 8 जुलाई की समय सीमा नजदीक आ रही है, और अब यह बेकरी मालिकों पर निर्भर है कि वे नियमों का पालन करें या बंदी का सामना करें।
#GreenFuels, #AirPollution, #MumbaiBakeries, #BMCCrackdown, #BombayHC
ये भी पढ़ें: 23 जून 2025 का राशिफल: मेष से मीन तक, जानें ग्रहों का प्रभाव और शुभ उपाय