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चिप बनाने में ताइवान देगा भारत का साथ, अब नहीं झेलनी होगी चिप की कमी

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टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक बड़ी खबर! सेमीकंडक्टर (चिप) बनाने के लिए ताइवान भारत के साथ हाथ मिलाने जा रहा है। भारत में ताइवान चैंबर ऑफ कॉमर्स के चेयरमैन का कहना है कि ताइवान की कंपनियां भारत के साथ काम करने के लिए तैयार हैं और चिप से जुड़ी ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करेंगी।

आपको शायद ये पता हो कि चिप का इस्तेमाल कई इलेक्ट्रॉनिक चीज़ों जैसे कि कार, ड्रोन, मोबाइल, आदि में होता है। लेकिन इन चिप्स को बनाना काफ़ी मुश्किल काम है जिसमें बहुत पैसा लगता है, लेकिन ताइवान ने इसमें महारत हासिल कर रखी है और अब भारत को भी ये तकनीक सीखने में मदद करेगा।

क्यों हो रही है ये साझेदारी?

ताइवान का भी चीन के साथ कुछ तनाव है, इसलिए वो अपना सामान बनाने के लिए नए ठिकाने ढूंढ रहा है। ऐसे में भारत में कंपनियां लगाना दोनों देशों के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है। ताइवान को मार्केट मिलेगा और भारत को टेक्नोलॉजी। साथ ही, भारत को 28 नैनोमीटर (एनएम) चिप मिलेगी जिसकी टेलीकॉम और ऑटोमोबाइल जगत में भारी मांग है।

क्या है ताइवान का प्लान?

ताइवान के चेयरमैन ने ‘मेक इन इंडिया’ की तारीफ तो की, लेकिन साथ ही कहा कि चिप जैसे उद्योगों में शायद ये उतना काम ना करे और साझेदारी करने पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए।

निश्चित तौर पर ये कदम भारत के लिए बहुत अच्छा हो सकता है। सेमीकंडक्टर चिप के बिना आजकल टेक्नोलॉजी की कल्पना भी नहीं की जा सकती और चिप की भारी किल्लत भी हमने देखी है। ऐसे में ताइवान की मदद भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से ताइवान भारत में काफ़ी पैसा लगा रहा है। कंपनियों की संख्या बढ़कर 290 तक पहुंच गई है। भारत-ताइवान के बीच लगभग 8.224 अरब डॉलर तक का व्यापार होता है।

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