महाराष्ट्र

Turhi Election Symbol Conflict: चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, शरद पवार की पार्टी के चुनाव चिह्न विवाद का हुआ अंत

Turhi Election Symbol Conflict: चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, शरद पवार की पार्टी के चुनाव चिह्न विवाद का हुआ अंत
Turhi Election Symbol Conflict: महाराष्ट्र की राजनीतिक जगत में शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और उसके चुनाव चिह्न को लेकर जो विवाद सामने आया, वह अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है।

निर्वाचन आयोग (ECI) ने आखिरकार शरद पवार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न ‘तुरही बजाता हुआ आदमी’ को EVM (Electronic Voting Machine) की बैलेट इकाइयों पर प्रमुखता से प्रदर्शित करने का फैसला किया है। चुनाव चिह्न विवाद (Election Symbol Issue) ने न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश में राजनीतिक चर्चाओं को गर्म कर दिया था। इस निर्णय से पवार की पार्टी को एक बड़ी राहत मिली है और इसके संभावित प्रभावों पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

राकांपा का विवादित चुनाव चिह्न और ECI का निर्णय

शरद पवार की अगुवाई वाली राकांपा ने निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया था कि उनकी पार्टी का चुनाव चिह्न ‘तुरही बजाता हुआ आदमी’ EVM पर सही तरीके से प्रदर्शित नहीं हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने ECI से तुरही चिह्न को चुनावी सूची से हटाने की भी मांग की थी। इस मामले में चुनाव चिह्न विवाद (Election Symbol Issue) को लेकर कई तर्क-वितर्क सामने आए। पवार की पार्टी का कहना था कि तुरही चिह्न और उनका ‘तुरही बजाता हुआ आदमी’ चिह्न समान दिखता है, जिससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही थी। विशेषकर सतारा निर्वाचन क्षेत्र में, जहां निर्दलीय उम्मीदवार संजय गाडे को तुरही चुनाव चिह्न आवंटित किया गया था, उसे राकांपा के उम्मीदवार से ज्यादा वोट मिल गए, जिससे भाजपा उम्मीदवार उदयनराजे भोंसले की जीत पक्की हो गई।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने इस मुद्दे पर कहा, “हमने राकांपा से चुनाव चिह्न को लेकर तीन विकल्प मांगे थे और उनके पहले सुझाव को स्वीकार कर लिया गया है।” हालांकि, तुरही चुनाव चिह्न (Turhi Election Symbol) को हटाने की मांग को खारिज कर दिया गया। ECI ने यह भी साफ किया कि चुनाव चिह्न की आवंटन प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

सतारा निर्वाचन क्षेत्र में तुरही से उपजी समस्या

महाराष्ट्र के सतारा निर्वाचन क्षेत्र में यह मामला और भी गंभीर हो गया था, जब निर्दलीय उम्मीदवार संजय गाडे को तुरही चुनाव चिह्न दिया गया। गाडे को मिले 37,062 वोट, भाजपा उम्मीदवार उदयनराजे भोंसले की जीत के अंतर से ज्यादा थे, जिन्होंने राकांपा (शरद पवार) के उम्मीदवार शशिकांत शिंदे को 32,771 वोटों से हराया था। इस घटना ने चुनावी चिह्न विवाद (Election Symbol Conflict) को और भड़का दिया। पवार ने दावा किया कि तुरही चिह्न और उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न के बीच का भ्रम इस हार का मुख्य कारण था।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने इस तर्क को गंभीरता से लेते हुए कहा, “चुनाव चिह्न से जुड़े भ्रम की स्थिति का समाधान निकालने के लिए हमने उनके सुझाव को स्वीकार किया है, परंतु तुरही चिह्न को हटाने का कोई कारण नहीं है।”

महाराष्ट्र चुनाव की रणनीति में बड़ा बदलाव

महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव का महत्व बढ़ गया है। राज्य की सभी 288 सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को मतगणना की जाएगी। चुनाव आयोग के इस निर्णय के बाद पवार की पार्टी को नई ऊर्जा मिली है, और अब देखना यह होगा कि चुनाव परिणामों पर इसका क्या असर पड़ता है।

ECI का यह फैसला शरद पवार (Sharad Pawar) के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है, खासकर उस समय जब महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े नेताओं के अस्तित्व की लड़ाई चल रही है। इस निर्णय से चुनावी रणनीतियों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा, और यह देखना दिलचस्प होगा कि राकांपा (SP) और अन्य राजनीतिक दल आगामी चुनावों में किस प्रकार से अपने अभियान को आकार देते हैं।

ECI का निर्णय (ECI Decision) स्पष्ट रूप से शरद पवार के लिए एक बड़ी जीत है। महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। पवार की पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर उत्पन्न भ्रम (Turhi Election Symbol Conflict) अब समाप्त हो गया है, और यह निर्णय उनकी पार्टी को आगामी चुनावों में एक मजबूत बढ़त दिला सकता है।

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