अमृतपाल सिंह, जो खालिस्तान समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख हैं, को 5 जुलाई से 4 दिनों की पैरोल मिली है। अमृतपाल सिंह असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं और उन्होंने हाल ही में पंजाब की खडूर साहिब सीट से निर्दलीय लोकसभा चुनाव जीता है। अब उनकी पैरोल के साथ, वो जेल से बाहर आकर सांसद पद की शपथ लेने की संभावना रखते हैं।
पैरोल की शर्तें और डीसी का बयान
डीसी अमृतसर, घनश्याम थियोरी ने बताया कि अमृतपाल सिंह को कुछ शर्तों के साथ 4 दिनों की पैरोल दी गई है। इस पैरोल की शुरुआत 5 जुलाई से होगी और इस दौरान उन्हें कुछ निर्धारित नियमों का पालन करना होगा। जेल अधीक्षक डिब्रूगढ़ को इस बारे में सूचित कर दिया गया है, ताकि वे आवश्यक प्रबंध कर सकें।
लोकसभा चुनाव में जीत और भविष्य की योजना
अमृतपाल सिंह ने लोकसभा चुनाव में पंजाब की खडूर साहिब सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की है। ये जीत उनके समर्थकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, खासकर क्योंकि वे जेल में रहते हुए चुनाव जीते हैं। अब, पैरोल मिलने के बाद, अमृतपाल सिंह को संसद में जाकर सांसद पद की शपथ लेने का अवसर मिलेगा। ये घटना उनके राजनीतिक करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) की बढ़ी अवधि
अमृतपाल सिंह पिछले साल मार्च से जेल में बंद हैं। ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह और उनके तीन सहयोगियों की हिरासत अवधि 24 जुलाई को समाप्त होनी थी, जबकि 6 अन्य सहयोगियों की हिरासत अवधि 18 जून को समाप्त होनी थी। हाल ही में, पंजाब सरकार ने अमृतपाल सिंह समेत 9 अन्य आरोपियों की NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) की अवधि एक साल के लिए बढ़ा दी है। NSA के तहत दी गई हिरासत की अवधि आमतौर पर एक वर्ष की होती है, और अब इसे बढ़ाकर एक साल के लिए और कर दिया गया है।
संसद में शपथ ग्रहण की उम्मीद
18वीं लोकसभा सत्र के तीसरे दिन, स्पीकर चुनाव से पहले बचे हुए सांसदों को शपथ लेनी थी। इन सांसदों में अमृतपाल सिंह भी शामिल थे। हालांकि, जेल में बंद होने की वजह से वे शपथ नहीं ले पाए थे। लोकसभा महासचिव ने हालांकि उनके नाम की पुकार की, लेकिन उनकी अनुपस्थिति के कारण शपथ ग्रहण नहीं हो सका। अब, पैरोल मिलने के बाद, उम्मीद की जा रही है कि अमृतपाल सिंह जल्द ही संसद में जाकर अपनी शपथ ग्रहण करेंगे।
अमृतपाल सिंह की पैरोल और उनकी लोकसभा चुनाव में जीत उनके और उनके समर्थकों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। जेल में रहते हुए चुनाव जीतना और अब पैरोल के माध्यम से बाहर आकर शपथ ग्रहण करना उनके राजनीतिक जीवन में एक नया अध्याय खोल सकता है। ये देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में उनकी राजनीतिक यात्रा कैसी रहती है।