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Naxalites Sterilization: नक्सलियों को क्यों करानी पड़ती है नसबंदी? माओवाद का रास्ता छोड़ने वालों ने अमित शाह से बयां किया दर्द

Naxalites Sterilization: नक्सलियों को क्यों करानी पड़ती है नसबंदी? माओवाद का रास्ता छोड़ने वालों ने अमित शाह से बयां किया दर्द

Naxalites Sterilizationजगदलपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों से मुलाकात ने माओवादी जीवन की कई कठोर सच्चाइयों को उजागर किया। इनमें से सबसे चौंकाने वाली सच्चाई नक्सलियों की नसबंदी  की है। माओवादी संगठन के सदस्य जो शादी करना चाहते हैं, उन्हें शादी से पहले नसबंदी कराने के लिए मजबूर किया जाता है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि परिवार की जिम्मेदारियां आंदोलन के प्रति उनकी निष्ठा को प्रभावित न करें।

नसबंदी क्यों है जरूरी?

पूर्व नक्सलियों के मुताबिक, माओवादी नेतृत्व का मानना है कि शादी और बच्चों की परवरिश से कार्यकर्ताओं का ध्यान उनके आंदोलन से भटक सकता है। परिवार के प्रति भावनात्मक जुड़ाव उन्हें हिंसक आंदोलन छोड़ने के लिए प्रेरित कर सकता है।

सुकमा जिले के आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली मरकम दुला बताते हैं कि शादी से पहले हर नक्सली को नसबंदी करवानी पड़ती है। उनका कहना है कि नेतृत्व चाहता है कि कोई भी सदस्य अपने बच्चों के प्रति भावनात्मक रूप से न जुड़ पाए। यही वजह है कि नसबंदी जैसी कठोर प्रक्रिया माओवादियों के बीच अनिवार्य बना दी गई है।

आत्मसमर्पण और नई शुरुआत

जब माओवादी सदस्य हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटते हैं, तो उनके जीवन में नई शुरुआत होती है। कई नक्सली अपनी नसबंदी की प्रक्रिया को पलटने के लिए सर्जरी करवाते हैं, ताकि वे सामान्य जीवन जी सकें और परिवार शुरू कर सकें।

तेलंगाना के एक पूर्व माओवादी ने अमित शाह से बातचीत के दौरान बताया, “मुझे माओवादी संगठन के आदेश पर नसबंदी करानी पड़ी थी। लेकिन जब मैंने आत्मसमर्पण कर दिया और मुख्यधारा में शामिल हुआ, तो मैंने इसे पलटने के लिए एक और सर्जरी कराई। आज मैं एक बच्चे का पिता हूं।”

महिलाओं के लिए भी सख्त नियम

ओडिशा के मलकानगिरी की आत्मसमर्पण कर चुकी माओवादी सुकांति मारी ने बताया कि उनके पति को शादी से पहले नसबंदी करानी पड़ी थी। उनके पति पुलिस मुठभेड़ में मारे गए, जिसके बाद उन्होंने आत्मसमर्पण किया। यह दिखाता है कि माओवादी जीवन में महिलाओं के लिए भी सख्त और अमानवीय नियम लागू होते हैं।

सरकार की पुनर्वास नीति

अमित शाह ने आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों के साथ बातचीत में कहा कि उन्हें खुशी है कि अब युवाओं को हिंसा की निरर्थकता समझ में आने लगी है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार उनका पुनर्वास सुनिश्चित करेगी।

सरकार की ओर से इन पूर्व नक्सलियों को पुलिस, निजी नौकरियों और उद्यमिता के लिए बैंक लोन जैसी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। शाह ने शेष नक्सलियों से भी मुख्यधारा में लौटने की अपील की।

एक नई जिंदगी की उम्मीद

आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली अब नई जिंदगी जी रहे हैं। वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर सामान्य जीवन की ओर लौटने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी कहानियां यह दिखाती हैं कि माओवादी जीवन कितना कठोर और अमानवीय था।


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