सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को ईवीएम सत्यापन (EVM Verification) से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया। कांग्रेस नेता और पांच बार के विधायक करण सिंह दलाल ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए इसकी जांच और सत्यापन की मांग की थी।
याचिकाकर्ता की दलील
करण सिंह दलाल ने अपनी याचिका में कहा कि ईवीएम के चार प्रमुख घटकों—कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट, वीवीपैट और सिंबल लोडिंग यूनिट—की मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर की गहन जांच होनी चाहिए। उनका तर्क है कि यह जांच लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बेहद जरूरी है।
उन्होंने इस प्रक्रिया को आठ सप्ताह के भीतर पूरा करने की मांग की। उनका मानना है कि यह मामला सिर्फ हरियाणा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश के चुनावी माहौल और जनता के विश्वास को प्रभावित करता है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ और पीबी वराले की खंडपीठ ने मामले को उसी बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया, जिसने अप्रैल में इस पर फैसला सुनाया था। उस समय की खंडपीठ, जिसमें अब सीजेआई संजीव खन्ना भी शामिल थे, ने बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग खारिज की थी।
इस निर्देश के अनुसार, सीजेआई अब यह तय करेंगे कि यह मामला किस खंडपीठ के समक्ष जाएगा।
अप्रैल का ऐतिहासिक फैसला
इस साल अप्रैल में, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा आदेश दिया था। इस आदेश के तहत, यदि चुनाव में दूसरे या तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवार लिखित अनुरोध करते हैं, तो पांच प्रतिशत ईवीएम की मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर की जांच की जाएगी।
इस जांच प्रक्रिया में ईवीएम निर्माता कंपनियों के इंजीनियर शामिल होंगे। साथ ही, उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधि भी इस दौरान मौजूद रहेंगे।
ईवीएम विवाद और चुनाव प्रक्रिया
ईवीएम चुनाव प्रक्रिया विवाद (EVM Election Process Dispute) लंबे समय से भारतीय राजनीति का एक प्रमुख मुद्दा रहा है। कई राजनीतिक दलों ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि चुनाव परिणामों में छेड़छाड़ की संभावना को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता।
हालांकि, चुनाव आयोग ने बार-बार ईवीएम की विश्वसनीयता पर भरोसा जताया है। आयोग का कहना है कि यह मशीनें पूरी तरह सुरक्षित और छेड़छाड़-मुक्त हैं।
करण सिंह दलाल की याचिका क्यों अहम है?
दलाल की याचिका का उद्देश्य केवल हरियाणा चुनाव तक सीमित नहीं है। यह पूरे देश में चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने का प्रयास है। उन्होंने अदालत से अपील की है कि ईवीएम की जांच और सत्यापन से जुड़े स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए जाएं, ताकि जनता का विश्वास चुनावी प्रणाली पर बना रहे।
लोकतंत्र की पारदर्शिता और चुनाव आयोग की भूमिका
सुप्रीम कोर्ट का यह मामला चुनाव आयोग के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। आयोग ने पहले ही ईवीएम की जांच की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे वीवीपैट की शुरुआत। लेकिन यह मामला चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को और मजबूत करने का प्रयास है।
आगे क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट का अगला कदम यह तय करेगा कि ईवीएम सत्यापन को लेकर क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी। यदि अदालत ने याचिकाकर्ता की मांग मानी, तो यह भारतीय चुनावी प्रणाली में एक बड़ा बदलाव ला सकती है।