Ramdas Athawale’s Discontent: महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन सरकार के हालिया कैबिनेट विस्तार ने न केवल राजनीतिक संतुलन को बदला, बल्कि विवादों को भी जन्म दिया। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की। रामदास आठवले की नाराजगी इस बात को लेकर है कि कैबिनेट विस्तार में उनकी पार्टी को कोई जगह नहीं दी गई, जबकि गठबंधन का हिस्सा होने के नाते वह मंत्रालय की उम्मीद कर रहे थे।
रामदास आठवले ने क्या कहा?
रामदास आठवले ने कहा कि उनकी पार्टी ने विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें एक मंत्रालय देने का वादा किया था। इसके बावजूद, कैबिनेट विस्तार में उनकी पार्टी को अनदेखा किया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें शपथग्रहण समारोह में आमंत्रित तक नहीं किया गया।
आठवले का कहना है कि उनकी पार्टी ने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए हमेशा भाजपा का समर्थन किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महायुति के हिस्से के रूप में उनकी पार्टी को भी सरकार में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
कैबिनेट विस्तार में हुआ क्या?
रविवार को नागपुर में आयोजित शपथग्रहण समारोह में 39 मंत्रियों ने शपथ ली। इस मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा को 19, एनसीपी (अजित गुट) को 9 और शिवसेना (शिंदे गुट) को 11 मंत्री पद मिले। यह कार्यक्रम नागपुर में आयोजित किया गया, जो 30 वर्षों के बाद ऐसा मौका था।
महिला नेताओं और नए चेहरों को मौका
कैबिनेट विस्तार में 20 नए मंत्रियों को शामिल किया गया, जिनमें तीन महिलाएं भी हैं। इनमें से 33 मंत्रियों को कैबिनेट रैंक और छह को राज्य मंत्री बनाया गया। यह फैसला महायुति गठबंधन की विविधता को दिखाने के लिए लिया गया, लेकिन यह सभी दलों को संतुष्ट करने में विफल रहा।
अजित पवार और शिंदे गुट का क्या है फॉर्मूला?
एनसीपी (अजित गुट) और शिवसेना (शिंदे गुट) के मंत्रियों को लेकर यह तय किया गया कि उनके कार्यकाल का समय पांच साल नहीं बल्कि ढाई साल का होगा। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह फॉर्मूला भाजपा के मंत्रियों पर भी लागू होगा या नहीं।
गठबंधन की खींचतान और राजनीतिक संदेश
महायुति सरकार के इस कैबिनेट विस्तार ने यह साफ कर दिया है कि गठबंधन की राजनीति आसान नहीं है। रामदास आठवले जैसे नेताओं की नाराजगी यह संकेत देती है कि भाजपा को अपने सहयोगियों को संतुलित रखना होगा।
कैबिनेट विस्तार पर भविष्य का प्रभाव
रामदास आठवले की नाराजगी ने यह दिखाया कि महायुति में अंदरूनी असंतोष बढ़ रहा है। अगर इसे जल्द ही संभाला नहीं गया, तो यह गठबंधन के भीतर तनाव को और गहरा कर सकता है।