COVID Vaccine Deaths: सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 वैक्सीन से जुड़ी मौतों और प्रतिकूल प्रभावों (Adverse Effects Following Immunization – AEFI) के मामले में केंद्र सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोविड-19 से हुई मौतों और वैक्सीन के कारण हुई मौतों को अलग-अलग नहीं देखा जाना चाहिए। अदालत ने केंद्र सरकार से तीन हफ्ते के भीतर इस मामले में एक मुआवजा नीति बनाने का निर्देश दिया है। यह फैसला उस समय आया है जब देश भर में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के दौरान वैक्सीन से जुड़ी मौतों और प्रतिकूल प्रभावों की रिपोर्ट्स सामने आई हैं।
सुप्रीम कोर्ट में यह मामला तब सामने आया जब एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एश्वर्य भाटी ने अदालत को बताया कि कोविड-19 को आपदा घोषित किया गया था, लेकिन टीकाकरण के बाद होने वाले प्रतिकूल प्रभाव (AEFI) और मौतों को इसके दायरे में नहीं रखा गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों के लिए मुआवजा देने की कोई नीति नहीं है। हालांकि, अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि कोविड-19 से हुई मौतें और वैक्सीन से जुड़ी मौतें एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं, क्योंकि टीकाकरण अभियान महामारी से निपटने के लिए ही चलाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट का तर्क
Supreme Court’s Argument
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि कोविड-19 और टीकाकरण से जुड़ी मौतों को अलग-अलग नहीं देखा जा सकता। अदालत ने कहा, “अंतत: महामारी से निपटने के लिए ही टीकाकरण अभियान चलाया गया था। आप यह नहीं कह सकते कि ये दोनों मामले आपस में जुड़े हुए नहीं हैं।” पीठ ने यह भी कहा कि टीकाकरण के बाद होने वाले प्रतिकूल प्रभावों (AEFI) के लिए आपदा प्रबंधन कानून के तहत कोई नीति नहीं है, जो कि एक गंभीर मुद्दा है।
केंद्र सरकार का रुख
Central Government’s Stand
केंद्र सरकार ने अदालत में कहा कि कोविड-19 टीकाकरण अभियान को मेडिकल प्रोटोकॉल के तहत संचालित किया गया था। एएसजी एश्वर्य भाटी ने बताया कि AEFI का तंत्र यह आकलन करता है कि क्या मृत्यु सीधे तौर पर टीकाकरण से जुड़ी है। हालांकि, अदालत ने इस तर्क को पर्याप्त नहीं माना और कहा कि ऐसे मामलों में मुआवजा देने के लिए एक स्पष्ट नीति बनाई जानी चाहिए।
मुआवजा नीति की आवश्यकता
Need for a Compensation Policy
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन हफ्ते के भीतर एक मुआवजा नीति बनाने का निर्देश दिया है। यह नीति उन परिवारों के लिए राहत का स्रोत होगी जिन्होंने कोविड वैक्सीन के कारण अपने प्रियजनों को खो दिया है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में मुआवजा देना सरकार की जिम्मेदारी है, क्योंकि टीकाकरण अभियान सरकारी स्तर पर चलाया गया था।
भोपाल गैस कांड के कचरे का मुद्दा
Issue of Bhopal Gas Tragedy Waste
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस कांड के कचरे के निपटान से जुड़े मामले पर भी सुनवाई की। अदालत ने प्राधिकारियों से कहा कि वे उसे मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर क्षेत्र में कचरे के निपटान के संबंध में बरती गई सावधानियों के बारे में अवगत कराएं। अदालत ने 27 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई करने का निर्णय लिया।
COVID Vaccine Deaths
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कोविड-19 टीकाकरण अभियान से जुड़े मामलों में न्याय और पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अदालत ने स्पष्ट किया कि वैक्सीन से जुड़ी मौतों और प्रतिकूल प्रभावों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और ऐसे मामलों में मुआवजा देना सरकार की जिम्मेदारी है। यह फैसला न केवल प्रभावित परिवारों के लिए न्याय सुनिश्चित करेगा, बल्कि भविष्य में ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए एक मिसाल भी कायम करेगा।