Badlapur: सेंट्रल लाइन में बढ़ती भीड़ यात्रियों के लिए मुश्किलों का सबब बन चुकी है. लोकल ट्रेन से यात्रा करने वाले इस बात से अच्छी तरफ वाकिफ होंगे. पीक आवर्स में हर किसी को टाइम से ऑफिस या घर पहुंचना होता है और दौरान स्टशनों और ट्रेनों में गजब कि भीड़ होती है, ट्रेन में चढ़ना किसी जंग से कम नहीं लगता, ऐसे में यदि कोई ट्रेन का दरवाजा ही बंद कर दे तो आपको कैसा लगेगा?
जी हां ऐसा ही एक मामला सामने आया है बदलापुर (Badlapur) स्टेशन से जहां मंगलवार को सुबह 7.51 बजे कर्जत-सीएसएमटी (Karjat-CSTM) फास्ट ट्रेन बदलापुर स्टेशन पहुंची तो महिला फर्स्ट डब्बे में महिलाओं को चढ़ने नहीं दिया गया. डब्बे का दरवाजा कुछ महिलाओं ने बंद कर दिया.
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने बुधवार को तीन महिला यात्रियों के खिलाफ FIR दर्ज की, जिन्होंने दरवाजा बंद किया था. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, तीनों महिलाओं के खिलाफ रेलवे अधिनियम की धारा 145 और 146 के तहत मामला दर्ज करने के बाद उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया था.
महिला आरपीएफ टीम ने बुधवार को उसी ट्रेन के डिब्बे में प्रवेश किया और महिलाओं की पहचान की और उन्हें अंबरनाथ स्टेशन पर उतारा. सेंट्रल रेलवे सीपीआरओ, शिवराज मानसपुरे ने कहा, “हमने रेलवे अधिनियम के तहत महिलाओं पर मामला दर्ज किया है और कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी.”
हालांकि, जब अगली कर्जत-सीएसएमटी ट्रेन सुबह 8.25 बजे आई, तो जनरल डिब्बे में भी वही हुआ, जिसमें पुरुष यात्रियों ने दरवाजे बंद कर दिए. चूंकि आरपीएफ और सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) के पास स्टेशन पर पर्याप्त बंदोबस्त थे, इसलिए उन्होंने यात्रियों को चेतावनी दी कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसके बाद यात्रियों ने दरवाजे खोल दिए, जिससे बदलापुर के यात्रियों को ट्रेन में चढ़ने की अनुमति मिल गई.
बता दें कि 2011 की जनगणना के बाद से कल्याण से कर्जत तक के क्षेत्र की जनसंख्या सात से आठ गुना बढ़ गई है, लेकिन रेलवे सेवाएं स्थिर बनी हुई हैं, जिससे भीड़भाड़ बढ़ गई है और यात्रियों के समूहों के बीच संघर्ष बढ़ गया है. |
बदलापुर रेलवे एसोसिएशन कमेटी के प्रमुख संजय मेस्त्री ने कहा, “मैं 2002 से बदलापुर में रह रहा हूं और इन सभी वर्षों में ट्रेन से यात्रा कर रहा हूं।” “पिछले पांच वर्षों में इस स्टेशन पर यात्रियों की संख्या पांच गुना बढ़ गई है. दुर्भाग्य से, महिलाओं के डिब्बे एक ही आकार के बने हुए हैं और पीक आवर्स के दौरान उनके लिए कोई विशेष ट्रेनें नहीं हैं. हम मध्य रेलवे से ट्रेन की आवृत्ति बढ़ाने, महिला स्पेशल चलाने या कल्याण से कसारा और कर्जत तक ट्रेनों की व्यवस्था करने का अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन हमारी सभी मांगें अनसुनी कर दी जाती है.”
मेस्त्री ने यह जानने की मांग की कि एक सरकार जिसने शहर में अत्यधिक निर्माण और विकास के लिए इतनी आसानी से अनुमति दे दी, वह अनुरोध किए जाने पर अन्य सार्वजनिक सुविधाएं क्यों उपलब्ध नहीं करा सकी.
हम लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं.विशेषकर महिलाएं वास्तव में संघर्ष कर रही हैं. प्रत्येक महिला यात्री अपने कॉलेज या कार्यस्थल की ओर यात्रा कर रही है, और जनसंख्या बढ़ती ही जा रही है. उनकी सुरक्षित यात्रा के लिए क्या किया जा रहा है?- संजय मेस्त्री (बदलापुर रेलवे एसोसिएशन कमेटी प्रमुख)