मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियों की सफाई के लिए बीएमसी अब स्वयंसेवकों की जगह ठेकेदार के माध्यम से सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति करेगी। इस योजना के तहत लगभग 7,388 श्रमिकों को काम पर रखा जाएगा।
बीएमसी द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छ मुंबई प्रबोधन अभियान (SMPA) के तहत स्वयंसेवकों को मात्र ₹180 प्रति दिन दिए जाते थे। इस योजना को अप्रभावी बताते हुए बीएमसी ने इसे बदलने का निर्णय लिया है।
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने झुग्गी-झोपड़ियों की सफाई के लिए चल रही स्वयंसेवक योजना को बंद कर दिया है। अब इन क्षेत्रों की साफ़-सफ़ाई के लिए एक ठेकेदार के माध्यम से 7,388 कर्मचारियों को काम पर रखा जाएगा। इस योजना पर अगले चार वर्षों में अनुमानित ₹1,400 करोड़ ख़र्च होंगे।
ठेकेदार को खोजने के लिए 7 मार्च तक बोलियाँ खुली हैं, और वह श्रमिकों के वेतन और उनके द्वारा किए गए काम के लिए ज़िम्मेदार होगा। श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 के प्रावधानों के अनुसार भुगतान किया जाएगा, जो प्रतिदिन ₹768 और मासिक ₹20,000 होगा।
बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि मौजूदा स्वयंसेवक योजना में काम करने वालों को ज़बरदस्ती काम पर नहीं लगाया जा सकता था, जिसकी वजह से यह योजना अप्रभावी थी। BMC के अतिरिक्त नगर आयुक्त सुधाकर शिंदे ने दिसंबर 2023 में इस योजना को एक विफलता करार दिया था।
नई योजना के अनुसार, 7,388 श्रमिकों में से 5,300 घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करने, गलियों की सफाई और सड़कों पर झाड़ू लगाने का काम करेंगे। 1,000 कर्मचारियों को नालियों की सफाई के लिए तैनात किया जाएगा। शौचालयों की सफ़ाई के लिए 900 कर्मचारी नियुक्त किए जाएंगे। बाकी बचे हुए कर्मचारी प्रबंधक, फील्ड ऑपरेटर और सुपरवाइज़र होंगे।
सफ़ाई कर्मचारियों से जुड़े सामाजिक संगठनों ने BMC के इस फ़ैसले का स्वागत किया है। इस योजना से सफ़ाई कर्मचारियों को उचित वेतन और अन्य लाभ मिल सकेंगे।